नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय की ओर से केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर 24 जनवरी को सुनवाई जारी रखेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की पीठ ने सोमवार को मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी (सोमवार) के लिए सूचीबद्ध किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का प्रतिनिधित्व किया और कहा कि ट्रिब्यूनल के पास मामले को एक बेंच से दूसरी बेंच में स्थानांतरित करने की विशेष शक्ति है। साथ ही उन्होंने यह तर्क दिया है कि मामले में कोई पूर्वाग्रह नहीं है।
सुनवाई के दौरान, अलपन बंद्योपाध्याय के वकील ने प्रस्तुत किया कि कैट का आदेश प्राकृतिक न्याय, समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के पूर्ण उल्लंघन में पारित किया गया था। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि उन्हें स्थानांतरण याचिका पर अपनी लिखित आपत्तियां दर्ज करने का अधिकार भी नहीं दिया गया।
पूर्व सिविल सेवक बंद्योपाध्याय उस समय सुर्खियों में आए जब वह पिछले साल मई में चक्रवात यास के मद्देनजर कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
इसी के तहत उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नौकरशाह ने, हालांकि, सेवा से इस्तीफा दे दिया, लेकिन केंद्र द्वारा शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही के अधीन थे।
इसके बाद उन्होंने इन कार्यवाही के खिलाफ कोलकाता में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद, दिल्ली में कैट की प्रधान पीठ ने मामले को राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया।
बंद्योपाध्याय ने कैट, नई दिल्ली के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया। हाई कोर्ट ने 29 अक्टूबर को जिस तरह से बंदोपाध्याय के मामले को अपने पास स्थानांतरित करने में केंद्र सरकार का पक्ष लिया था, उस पर कड़ी आपत्ति जताई और कैट के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद, केंद्र ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि बंद्योपाध्याय की याचिका पर फैसला करने का अधिकार कलकत्ता उच्च न्यायालय के पास नहीं है। इसने बंद्योपाध्याय को कैट के आदेश को चुनौती देने के लिए क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय (दिल्ली) का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता भी दी।
--आईएएनएस
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