नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि धर्म से अलग हटकर सभी महिलाएं समान व्यवहार और हक पाने का अधिकार रखती हैं। हाइकोर्ट ने तीन तलाक के मसले पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष तीन तलाक का मसला विचाराधीन है, ऐसे में इस याचिका पर सुनवाई नही हो सकती। इसी के साथ पीठ ने याचिका को खारिज दी।
याचिकाकर्ता का कहना था कि संविधान पीठ के समक्ष सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को लेकर याचिका है जबकि उनकी याचिका में मुस्लिम युवक से शादी करने वाली हिन्दू लड़कियों के अधिकार की बात है। याचिका में हिन्दू लडक़ी और मुस्लिम लडक़े के बीच हुआ निकाह के बाद मुस्लिम पति को तीन तलाक का हक नहीं देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि हिन्दू लडक़ी के मामले में जो निकाहनामा बनाया जाता है वह उर्दू में होता है, इसलिए लडक़ी को तीन तलाक और मुस्लिम लडक़े के बहुविवाह के बारे में जानकारी नहीं होती है।
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