दिल्ली में वर्ष 2017 में एमसीडी चुनाव हुए थे। इस दौरान आप का वोट शेयर
घटकर 26 प्रतिशत हो गया, जबकि कांग्रेस 21 प्रतिशत थी। वहीं भाजपा का वोट
प्रतिशत 37 प्रतिशत रहा। इसके बाद 2019 के आम चुनाव में आप का वोट शेयर
घटकर मात्र 18 प्रतिशत रह गया, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे 32.90
प्रतिशत वोट मिले थे। आप पांच लोकसभा सीटों पर तीसरे स्थान पर पहुंच गई और
उसके तीन उम्मीदवार अपनी जमानत गंवा बैठे।
भाजपा का वोट शेयर 2019 के आम
चुनाव में बढक़र 56.58 प्रतिशत हो गया, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उसका
वोट शेयर 46.40 प्रतिशत था। कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी 2014 के लोकसभा
चुनाव के 15.10 प्रतिशत से बढक़र 2019 में 22.46 प्रतिशत हो गया। इस बार का
दिल्ली विधानसभा चुनाव न सिर्फ आप के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह तीनों
पार्टियों -आप, भाजपा और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है।
देखना अब यह है कि
बाजी कौन मारता है। आप अपनी सत्ता बचा पाती है, या भाजपा 20 साल का वनवास
तोड़ पाती है, या फिर कांग्रेस एक बार फिर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो
पाती है, जिसने लगातार 15 सालों तक यहां शासन किया था। परिणाम 11 फरवरी को
पता चलेगा।
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