नई दिल्ली। भगोड़े शराबी कारोबारी विजय माल्या का मामला इन दिनों देशभर छाया हुआ है। इस मामले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच घमासान जारी है। माल्य के लोन डिफोल्ट मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सवाल उठाया है। दबे का कहना है कि माल्या का फरारी से करीब 20 घंटे पहले एसबीआई को उसका पासपोर्ट जब्त करवाने की सलाह दी थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दुष्यंत दवे ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने बतौर एसबीआई वकील, माल्या को देश छोडक़र भागने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए एसबीआई को सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के लिए कहा। लेकिन वह कोर्ट के बाहर इंतजार करते रहे और एसबीआई से कोई अधिकारी कोर्ट नहीं पहुंचा।
इन गंभीर आरोपों पर एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने बिजनेस टुडे के एडिटर राजीव दुबे को सफाई देते हुए कहा है कि यह जरूरी नहीं है कि किसी हाई वैल्यू क्लाइंट का मामला चेयरमैन के सामने लाया जाए। लिहाजा, ऐसे मामले में एसबीआई प्रमुख कुछ नहीं कर सकते। रजनीश कुमार के मुताबिक बैंक का चाहे कितना बड़ा क्लाइंट हो और कर्ज का मामला कितना भी गंभीर हो, इस काम के लिए बैंक की एक खास टीम है जो सभी फैसले लेती है।
लिहाजा जरूरी नहीं है कि इस मामले में भी कोई मुद्दा चेयरमैन के संज्ञान में लाया गया हो। हालांकि रजनीश कुमार ने कहा कि उन्हें फिलहाल यह जानकारी नहीं है कि एसबीआई की पूर्व चेयरमैन अरुणधती भट्टाचार्या को विजय माल्या के फरार होने अथवा कर्ज की वसूली की कोशिशों की जानकरी थी या नहीं। रजनीश कुमार ने कहा कि वह बैंक में इस मामले से जुड़े दस्तावेजों के देखने के बाद ही बता सकते हैं कि पूर्व चेयरमैन को यह जानकारी थी कि नहीं।
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