नई दिल्ली। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित देश की सालाना मुद्रास्फीति दर में दिसंबर में गिरावट दर्ज की गई और यह 3.58 फीसदी रही। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक नवंबर में 3.93 फीसदी पर था, जोकि संशोधित आधार वर्ष 2011-12 पर आधारित है। हालांकि 2016 के दिसंबर का डब्ल्यूपीआई 2.10 फीसदी था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, ‘‘चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति की वृद्धि दर अबतक 2.21 फीसदी रही है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 3.71 फीसदी की वृद्धि दर थी।’’ क्रमिक आधार पर, डब्ल्यूपीआई में 22.62 फीसदी का भार रखने वाली प्राथमिक वस्तुओं की मुद्रास्फीति दर बढक़र 3.86 फीसदी रही, जो कि नवंबर में 5.28 फीसदी थी।
समीक्षाधीन माह में खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई दर 4.72 फीसदी रही, जबकि इसके पिछले महीने यह 6.06 फीसदी थी। साल-दर-साल आधार पर, दिसंबर में खाद्य पदार्थों की कीमतों में 4.72 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो नवंबर की तुलना में केवल 0.07 फीसदी अधिक है। अलग-अलग सामानों में, प्याज की कीमतों से सर्वाधिक 197.05 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि आलू की कीमतों में 8.40 फीसदी की गिरावट आई।
वहीं, नवंबर में सभी सब्जियों की कीमतों में 56.46 फीसदी की तेजी दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले के इसी महीने में इसमें 26.88 फीसदी की गिरावट आई थी। आगे, आकंड़ों से पता चलता है कि गेंहू की कीमतों में साल-दर-साल आधार पर 8.47 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और दालों की कीमतों में 34.60 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन धान की कीमत 3.19 फीसदी की दर से बढ़ी।
वहीं दूसरी तरफ, प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थों जैसे अंडे, मांस और मछली की कीमतों में 1.67 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष रशेश शाह ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति में कमी एक सकारात्मक संकेत है और सरकार द्वारा खाद्य आपूर्ति को मजबूत करने के सतत प्रयासों से खाद्य मुद्रास्फीति को और कम करने में मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति के आंकड़े मुख्यत: आपूर्ति पक्ष के कारकों पर निर्भर करता है, हम भारतीय रिजर्व बैंक से गुजारिश करते हैं कि विकास को भी समान महत्व देते हुए इसे अपनी मौद्रिक नीति रुख में शामिल करे।’’ एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि कीमतों में मौसमी नरमी होने के बावजूद ‘‘वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही तक मुद्रास्फीति तेज बनी रहेगी।’’
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