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6 दिसंबर ने यूपी में कांग्रेस को बनाया दयनीय, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

December 6 made Congress miserable in UP - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से कांग्रेस उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से विलुप्त हो गई। क्योंकि उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। विध्वंस के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव व कांग्रेस को भी जिम्मेदार माना गया।

उसके बाद पार्टी राज्य में सत्ता हासिल नहीं कर सकी, जहां 1977 तक इसका लगभग निर्विरोध शासन था। पहले इसे समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया और फिर भाजपा प्रमुख के रूप में उभरी। इन दलों ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई।

रात के मंत्रिमंडल में शामिल वरिष्ठ कांग्रेसी सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन आवर टाइम्स' में 1992 के बाद से राजनीतिक परि²श्य में बदलाव का विवरण दिया है।

जब 1996 में विध्वंस के बाद पहला आम चुनाव हुआ, तब कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और पहली बार 13 दिनों के लिए भाजपा की सरकार बनी। लेकिन इसके बाद बाबरी मस्जिद के कारण ही भाजपा मजबूत होती गई। पार्टी ने 6 दिसंबर, 1992 के लाभों का लाभ उठाना जारी रखा।

खुर्शीद ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि कैसे नरसिम्हा राव ने विध्वंस के एक दिन बाद यह कहते हुए कि, मेरे साथ सहानुभूति रखे,ं मंत्रिपरिषद की बैठक अचानक समाप्त कर दी।

हालांकि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और बिहार में मुसलमानों से कोई सहानुभूति नहीं मिली और सपा ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। मुलायम सिंह को 'मौलाना' की उपाधि दी गई।

इसने सपा के एक मजबूत क्षेत्रीय दल के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त किया और यह राज्य में मुसलमानों के बीच लोकप्रिय हुई और तीन बार सत्ता में वापस आई। कांग्रेस ने कड़ी मेहनत की, लेकिन मुस्लिम समुदाय का विश्वास हासिल नहीं कर पाई।

विध्वंस के बाद नरसिम्हा राव ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया और एक हफ्ते बाद हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा सरकारों को भी उखाड़ फेंका।

बर्खास्तगी के बाद जब 1993 में राज्य के चुनाव हुए, तो भाजपा उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, हालांकि कम सीटों के साथ और राजस्थान में सत्ता में लौट आई।

कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आ गई थी और मप्र में भाजपा के विकल्प के रूप में उभरी, जहां इसने 1993 से 2003 तक सरकार का नेतृत्व किया। तब से 2018 में एक साल को छोड़कर, भाजपा राज्य पर शासन कर रही है।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की दयनीय स्थिति बनी हुई है। राज्य में इसके सिर्फ एक सांसद (सोनिया गांधी) और दो विधायक हैं। कांग्रेस को अब उम्मीद है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों और अन्य राज्यों में मुसलमानों के विश्वास को फिर से हासिल करने में मदद करेगी।

लेकिन असली लिटमस टेस्ट 8 दिसंबर को है, जब गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।

--आईएएनएस

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Web Title-December 6 made Congress miserable in UP
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