नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 2 नवंबर को वकीलों और पुलिस वालों के बीच खूनी संघर्ष, 5 नवंबर को दिल्ली के इतिहास में दूसरी बार राजधानी की पुलिस के हजारों कर्मियों और उनके परिवारों द्वारा दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव भला कौन भूल पाएगा! इससे पहले, उत्तरी दिल्ली जिले के सिविल लाइंस थाना इलाके में उप-राज्यपाल निवास से चंद फर्लाग दूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी से दिन-दहाड़े हुई झपटमारी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दिल्ली पुलिस द्वारा थानों में पीडि़तों के साथ बदसलूकी, गाली-गलौज किया जाना, देश की हुकूमत की नजर में दिल्ली पुलिस द्वारा राष्ट्रीय राजधानी का क्राइम-ग्राफ डाउन करने के लिए झपटमारी के मामलों को या तो दर्ज ही न करना या फिर झपटमारी की घटनाओं को जबरिया चोरी की धाराओं में दर्ज करवा देने का मुद्दा संसद में उठा था। और तो और, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी वर्ष 2017 के अपराध आंकड़ों में दिल्ली को क्राइम-कैपिटल घोषित किया जा चुका है।
आइए, अब ताजा घटनाक्रम पर गौर करें। 15 दिसंबर 2019 रविवार को जामिया-जाकिर नगर, न्यू फ्रेंड्स कालोनी में खूनी संघर्ष हुआ। इसके ठीक एक दिन बाद, यानी सोमवार छोड़ मंगलवार 17 दिसंबर को, दोपहर बाद अचानक उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले के सीलमपुर-जाफरबाद इलाके का हिंसा में जल उठना। इसके बाद शुक्रवार देर शाम मध्य दिल्ली के दरियागंज इलाके में हिंसा-आगजनी जैसे तमाम बवालों के चलते सवाल उठ रहा था। सवाल यह कि क्या दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक खुद की कुर्सी सलामत रख पाएंगे?
इससे भी ज्यादा जिज्ञासा भरा सवाल है कि कानून-व्यवस्था की दृष्टि से दिल्ली के इन बदतर हालात में मौजूदा पुलिस कमिश्नर पटनायक की कुर्सी अगर छिन गई तो फिर, चंद दिनों बाद संभावित दिल्ली विधानसभा चुनाव आखिर कौन कराएगा? कोई नया पुलिस कमिश्नर? नहीं। रविवार का दिन (22 दिसंबर)। दिल्ली के रामलीला मैदान में सवा लाख से ज्यादा भीड़ वाली जनसभा को संबोधित करते वक्त, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी का नाम लिए बिना इशारा कर गए कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजधानी का पुलिस कमिश्नर नहीं बदला जाएगा।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में भले ही राजधानी की बिगड़ी हुई कानून-व्यवस्था का ही जिक्र नहीं किया हो, मगर उन्होंने देशभर में फैली हिंसा की निंदा करते हुए जनता से अपील की, हिंसा समाधान नहीं है। जो कुछ नाराजगी है, मोदी पर गुस्सा उतारो, न कि सरकारी और देश की संपत्ति पर। प्रधानमंत्री के ये चंद अल्फाज केवल दिल्ली के पुलिस कमिश्नर पटनायक ही नहीं, बल्कि तमाम उन राज्यों के पुलिस मुखियाओं की भी कुर्सी की सलामती पर मुहर लगा गए, जिन राज्यों में इन दिनों एनआरसी को लेकर हिंसा-आगजनी फैली हुई है।
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