नई दिल्ली। डेटा संरक्षण विधेयक 2019 को नए प्रावधानों के साथ पेश करते हुए केंद्र ने बुधवार को घोषणा की कि मसौदा कानून भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करेगा और डेटा बिना अनुमति के नहीं लिया जा सकेगा। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में विधेयक को पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक सरकार को फेसबुक, गूगल समेत अन्य कंपनियों से गोपनीय निजी डेटा और गैर-निजी डेटा के बारे में पूछने का अधिकार प्रदान करता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रसाद ने कहा कि इस डेटा संरक्षण विधेयक से हम (सरकार) भारतीयों के अधिकार की रक्षा कर रहे हैं। विधेयक के अनुसार, अगर डेटा किसी की सहमति के बगैर लिया गया तो आपको दंड भुगतना होगा। उन्होंने कहा, दूसरा यह है कि अगर आप सहमति से परे जाकर डेटा का दुरुपयोग करते हैं, तो आपको इसके परिणाम भुगतने होंगे। हमने करोड़ों रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया है। इसलिए इस डेटा संरक्षण विधेयक के जरिए हम भारतीयों के अधिकार की रक्षा करते हैं।
मंत्री ने कहा कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, क्योंकि 130 करोड़ की आबादी में 121 करोड़ मोबाइल फोन सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, हम बहुत सारा डेटा एकत्र करते हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बहुत सारा डेटा जरूरी है। हम यह भी प्रावधान कर रहे हैं कि नवाचार व नीति निर्धारण के लिए गोपनीय डेटा उपलब्ध होना चाहिए।
प्रसाद ने कहा कि सरकार ने डेटा को क्रिटिकल डेटा व सेंससिटव डेटा में विभाजित किया है। उन्होंने कहा, क्रिटिकल डेटा वह डेटा है, जिसे सरकार समय-समय पर अधिसूचित करेगी। यह भारत से बाहर नहीं जा सकता है। सेंसटिव डेटा में आय, चिकित्सा रिकॉर्ड, यौन प्राथमिकताएं और कई चीजें शामिल हैं। यह डेटा व्यक्ति की सहमति और अथॉरिटी की मंजूरी से देश से बाहर जा सकता है।
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