नई दिल्ली। भारतीय आंकड़ों की विश्वसनीयता को बर्बाद करने के आरोपों से इनकार करते हुए सरकार ने कहा कि नोटबंदी वाले साल के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के संशोधित आंकड़ों में कोई हेर-फेर नहीं की गई है, वास्तव में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के कारण अभी इन आंकड़ों में और तेजी आएगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने आईएएनएस से कहा कि इसमें बिल्कुल भी हेर-फेर नहीं की गई है। यह असली आंकड़ा है। किसी ने इसमें हेर-फेर नहीं की है। सरकार ने 31 जनवरी को वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी के आंकड़ों को संशोधित किया और 7.1 फीसदी से 110 आधार अंक बढक़र 8.2 फीसदी हो गया।
इसी साल नोटबंदी की गई थी, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी की दर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 7.2 फीसदी रही। गर्ग ने कहा कि विकास दर में तेजी दो मुख्य क्षेत्रों में तेजी के कारण आई, जिसमें विनिर्माण और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं, जबकि उत्पादन और खनन क्षेत्र में उतनी तेजी नहीं रही। इससे साफ है नोटबंदी के कारण तेजी वाले क्षेत्रों को सीधा लाभ मिला।
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