नई दिल्ली। टाटा-मिस्त्री के बीच की लड़ाई में एक नया मोड़ तब आया, जब साइरस मिस्त्री ने कहा कि वे न तो टाटा संस के चेयरमैन बनेंगे और न टाटा समूह की किसी कंपनी के निदेशक ही बनेंगे। लेकिन वे एक माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में तथा टाटा संस के बोर्ड में एक सीट के शापूरजी पालोनजी समूह के अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाएंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि उन्होंने यह निर्णय टाटा समूह के हित में लिया है, जिसका हित किसी के व्यक्तिगत हित से ज्यादा महत्वपूर्ण है। मिस्त्री ने कहा, फैलाई गई गलत सूचनाओं को स्पष्ट करने के लिए मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनसीएलटी का आदेश मेरे पक्ष में भले ही आया है, लेकिन मैं टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन नहीं बनना चाहूंगा, मैं टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसेज या टाटा इंडस्ट्रीज का निदेशक भी नहीं बनना चाहूंगा।
उन्होंने एक बयान में कहा, लेकिन मैं एक माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाऊंगा, जिसमें टाटा संस के बोर्ड में एक सीट हासिल करना और टाटा संस में सर्वोच्च स्तर का कारपोरेट शासन और पारदर्शिता लाना शामिल है। एनसीएलटी के फैसले पर रतन टाटा और अन्य द्वारा सवाल उठाए जाने से संबंधित हाल की मीडिया रपटों पर उन्होंने कहा, यह भाषा कारपोरेट लोकतंत्र की एक व्याख्या है, जहां बहुमत का वर्चस्व है और अल्पमत शेयरहोल्डर को कोई अधिकार नहीं है।
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