नई दिल्ली। पुलवामा जैसे आत्मघाती हमले को रोकने और जम्मू एवं कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों के दौरान हताहत होने से बचने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अपनी रणनीति को बदल कर 'रुको, देखो और सयम लो' कर दी है और नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है।
पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जम्मू एवं कश्मीर में तैनात 55,000 से अधिक सीआरपीएफ जवानों को सलाह दी गई है कि आवासीय इलाकों में आतंकरोधी अभियान के दौरान जल्दबाजी न करें।
नई सलाह रविवार को तब जारी की गई, जब 48 घंटे चली मुठभेड़ में एक निरीक्षक सहित सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो गए थे।
यह कुपवाड़ा जिले के हंदवारा इलाके में बाबागुंड गांव में मुठभेड़ एक मार्च को शुरू हुई थी।
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में तैनात प्रत्येक सीआरपीएफ जवान को स्पष्ट निर्देश है कि आतंकरोधी अभियान के दौरान 'रुको, देखो और समय लो'। यह नया नहीं है। यह हमारे एसओपी का एक हिस्सा है, जिसे हमारे तीन जवानों के शहीद होने के बाद सुधारा गया है।
अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ के बाद तलाशी अभियान शुरू करने से पहले सुरक्षाकर्मी यदि थोड़े समय के लिए रुक गए होते, तो वे शहीद होने से बच गए होते। हम समय-समय पर अपनी रणनीति बदलते हैं और एसओपी में सुधार करते हैं।
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