नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो ने केंद्र सरकार की सीबीआई, आईबी, रॉ और ईडी के निदेशकों के कार्यकाल को दो से पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देने वाले दो अध्यादेशों को रदद् करने की मांग करते हुए इसका संसद के शीतकालीन सत्र में विरोध करने का ऐलान किया है। सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ सरकार सीबीआई और ईडी दोनों का इस्तेमाल अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कर रही है। ऐसे में ये एजेंसियां केंद्र की राजनीतिक शाखा के रूप में उपयोग हो रहीं हैं। विपक्षी दलों के नेताओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यह कदम इन एजेंसियों की स्वायत्तता को नष्ट करने और प्रमुख अधिकारियों को पक्षपाती बनाने के लिए उठाया जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीपीएम ने कहा कि यह निंदनीय है कि ये अध्यादेश 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर प्रख्यापित किए गए हैं। बीजेपी का यह नियमित तौर पर अध्यादेश राज के मार्ग का सहारा अलोकतांत्रिक है।
इन अध्यादेशों का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश को भी दरकिनार करना है, जिसमें कहा गया था कि किसी भी कार्यकाल का विस्तार छोटी अवधि के लिए नहीं होना चाहिए और चल रही जांच को सुविधाजनक बनाने के लिए केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में ही ऐसा होना चाहिए। इन अध्यादेशों के साथ केंद्र सरकार अब सरकारी एजेंसियों को तीन साल का विस्तार दे सकती है।
सीपीआईएम के पोलित ब्यूरो ने केंद्र से मांग की है कि इन अध्यादेशों को रद्द किया जाए। इन अध्यादेशों को कानून में बदलने के कदम का सीपीआईएम सांसद संसद में विरोध करेंगे।
इसके पहले कांग्रेस पार्टी भी केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध कर चुकी है कांग्रेस ने कहा कि केंद्र का यह कदम बेहद पक्षपाती है एजेंसियों के दुरुपयोग करने की मंशा से यह अध्यादेश लागू किया जा रहा है।
वहीं इस मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में वैधानिक प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है।
--आईएएनएस
CJI को वकीलों की चिट्ठी पर मोदी ने कहा, डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope