नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ को महिलाओं के खतने (खफ्ज) के विरोध में दाखिल याचिका भेज दी गई है। केन्द्र सरकार इस प्रथा का विरोध जता चुकी है। यह प्रथा अधिकांश दाऊदी बोहरा मुसलमान में पाई जाती है। इस दायर याचिका में महिलाओं का खतना पर बिलकुल रोक लगाने की मांग की गई है। दायर याचिका में बताया गया है कि इसे संज्ञेय और गैरजमानती धारा के तहत अपराध माना जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित नाबालिग लड़कियों का खतना किए जाने की प्रथा पर पहले ही प्रश्न उठा चुका है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट ने बताया कि किसी के प्राइवेट पार्ट को छूना पॉस्को के तहत अपराध है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
केंद्र सरकार ने भी सर्वोच्च न्यायालय में बताया कि धर्म की आड़ में लड़कियों का खतना करना एक जुर्म है और इस पर रोक का समर्थन करता है। इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से बताया गया था कि इसके लिए सात साल तक कैद की सजा का प्रावधान भी है। दाऊदी बोहरा समुदाय गुजरात से सम्बंध रखता है। यह समुदाय शिया मुसलमानों की एक शाखा है। बोहरा समुदाय के संगठन ने बताया कि ‘खफ्ज’ नुकसानरहित धार्मिक परंपरा है, इसका पालन सदियों से हो रहा है।
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