कांग्रेस कार्यकारिणी ने इस प्रस्ताव को जम्मू एवं कश्मीर रियासत और भारत के बीच विलय का इंस्ट्रमेंट बताया।
यह
प्रस्ताव सीडब्ल्यूसी की लगभग चार घंटे चली बैठक के बाद पारित किया गया,
जिसमें कई कांग्रेस नेताओं ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को राष्ट्र हित
में बताया।
लेकिन सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 में तब तक
संशोधन नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि हर वर्ग के लोगों से परामर्श न कर
लिया जाए, और यह भारत के संविधाना के अनुरूप हो।
अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले को एकतरफा और अलोकतांत्रिक बताते हुए
प्रस्ताव में कहा गया है कि जम्मू एवं कश्मीर को संविधान के प्रावधानों की
गलत व्याख्या करके खंडित किया गया है।
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