नई दिल्ली । पांच राज्यों में हुए
विधानसभा चुनावों के नतीजे आ गए हैं, इनमें से एक भी राज्य में कांग्रेस
पार्टी सरकार नहीं बना सकी। कांग्रेस को उत्तराखंड, गोआ और पंजाब में सरकार
बनने की उम्मीद थी, लेकिन तीनों राज्य में नतीजे उम्मीदों के विपरीत आए।
खासतौर पर पंजाब को लेकर का कहना है कि अमरिंदर सिंह के साढ़े चार साल की
सत्ता विरोधी लहर से नहीं उबर पाए और पंजाब में जनता ने बदलाव के लिए मतदान
किया है।
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विधानसभा चुनावों में मिली इस करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस
पार्टी ने पांचों राज्यों में चुनाव जीतने वाले सभी राजनीतिक दलों और
व्यक्तियों को शुभकामनाएं दी है। कांग्रेस का कहना है कि प्रजातंत्र में
जनता का निर्णय सर्वोपरी है और यही हमारे लोकतंत्र की मजबूती भी है।
कांग्रेस
महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम
कांग्रेस पार्टी की आशाओं के विपरीत रहे हैं। हम उत्तराखंड, गोआ और पंजाब
में अच्छे परिणाम की अपेक्षा कर रहे थे लेकिन, हम ये स्वीकार करते हैं कि
हम जनता का आशीर्वाद प्राप्त करने में असफल रहे।
सुरजेवाला ने कहा
कि पंजाब में चरनजीत सिंह चन्नी के रूप में हमने एक विनम्र, स्वच्छ और
धरातल से जुड़ा हुआ नया नेतृत्व देने का प्रयास किया लेकिन, अमरिंदर सरकार
के साढ़े चार साल की सत्ता विरोधी लहर से नही उबर पाए। जनता ने बदलाव के
लिए मतदान किया। हम जनता का आदेश स्वीकार करते हैं और पंजाब में जीत के लिए
आम आदमी पार्टी को बधाई देते हैं।
कांग्रेस का कहना है कि
उत्तरप्रदेश में हम कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में सफल रहे हैं। हम जनमत
को सीटों में नही बदल पाए लेकिन, कांग्रेस पार्टी प्रदेश के हर गली-मोहल्ले
तक पहुंचने में सफल रही है। हम उत्तराखंड व गोवा में बेहतर चुनाव तो लड़े
पर जनता का मन जीत कर विजय के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाए। ये एक सीख है कि
हमें धरातल पर और मेहनत करने की आवश्यकता है।
सुरजेवाला ने कहा कि
हमने इस चुनाव को जातिवाद और धार्मिक ध्रुवीकरण के मुद्दों से दूर रखने का
हर प्रयास किया लेकिन, भाजपा के व्यापक प्रचारतंत्र के सहारे शिक्षा,
स्वास्थ्य, महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दों पर भावनात्मक मुद्दे हावी हो गए।
कांग्रेस
का कहना है कि हम चुनाव हारें या जीतें लेकिन, कांग्रेस पार्टी जनता के
साथ हमेशा खड़ी है। हम जनता के मुद्दों को, महंगाई को-बेरोजगारी को-डूबती
अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों को उसी जि़म्मेवारी के साथ उठाते रहेंगे। हम हार
के कारणों पर आत्ममंथन और आत्मचिंतन करेंगे, संगठन पर काम करेंगे और
भविष्य में बेहतर करने का प्रयास करेंगे। हम चुनाव परिणामों से निराश जरूर
हैं लेकिन हताश नहीं। हम केवल चुनाव हारे हैं, हिम्मत नहीं । हम कहीं नहीं
जा रहे - हम लड़ते रहेंगे जब तक हम जीत हासिल ना कर लें। हम लौटेंगे बदलाव
के साथ, नई रणनीति के साथ।
--आईएएनएस
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