नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को एक अप्रत्याशित घटना के बाद संसद के उच्च सदन में हंगामा मच गया। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में जानकारी दी कि सुरक्षा जांच के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट (सीट संख्या 222) के नीचे से नोटों की गड्डी बरामद की गई है। यह मामला गंभीर जांच के अधीन है, लेकिन इसे लेकर सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस शुरू हो गई।
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सभापति ने सदन में कहा, "सुरक्षा अधिकारियों द्वारा यह मामला मेरे संज्ञान में लाया गया। मैंने सुनिश्चित किया कि तत्काल जांच शुरू की जाए। घटना की सच्चाई सामने लाने के लिए गहन जांच जारी है।"
इस खुलासे के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आपत्ति जताई और जांच पूरी होने तक किसी सदस्य का नाम सार्वजनिक न करने की अपील की। उन्होंने कहा, "यह घटना अत्यंत संवेदनशील है। जब तक जांच निष्पक्ष रूप से पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी सदस्य का नाम लेना अनुचित होगा।"
इस घटना ने सदन में तीखी राजनीतिक खींचतान को जन्म दिया। विपक्ष ने इसे साजिश बताया, जबकि सत्ता पक्ष ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर करने पर जोर दिया। मामला अब सदन और देश की राजनीति के केंद्र में आ गया है, और सभी की नजरें जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।
कांग्रेस सांसद एवं अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं जब भी राज्यसभा जाता हूं तो 500 रुपए का एक नोट साथ लेकर जाता हूं। मैंने इसके बारे में पहली बार सुना। मैं 12:57 बजे सदन पहुंचा और सदन 1 बजे उठा, फिर मैं 1:30 बजे तक कैंटीन में बैठा और फिर संसद से चला गया।
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "यह घटना गंभीर प्रकृति की है। इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है। महोदय, मुझे आपके फैसले पर भरोसा है कि विस्तृत जांच कराई जाएगी।"
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू कहते हैं, "...नियमित प्रोटोकॉल के अनुसार, सदन की कार्यवाही और कार्यवाही को समाप्त करने के लिए एंटी-सैबोटेज टीम ने सीटों की जाँच की। उस प्रक्रिया के दौरान, नोट पाया गया और सीट नंबरों को डिक्रिप्ट किया गया और सदस्यों ने उस दिन हस्ताक्षर भी किए। मुझे समझ में नहीं आता कि इस बात पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए कि अध्यक्ष को सदस्य का नाम नहीं लेना चाहिए।
अध्यक्ष ने सीट नंबर और उस विशेष सीट नंबर पर बैठने वाले सदस्य का नाम सही ढंग से बताया है। इसमें क्या गलत है? इस पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए?...क्या आपको नहीं लगता कि जब हम डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहे हैं, तो सदन में नोटों का बंडल ले जाना उचित है? हम सदन में नोटों का बंडल नहीं ले जाते। मैं अध्यक्ष की इस टिप्पणी से पूरी तरह सहमत हूँ कि इसकी गंभीर जाँच होनी चाहिए और सदस्यों द्वारा उठाई गई चिंताएँ भी बहुत वास्तविक हैं।
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