नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुसिबतें बढा दी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि क्यों नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस चलाए जाए। मिली जानकारी के अनुसार, भडक़ाऊ भाषण के 11 साल पुराने मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से राहत पा चुके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर मुसिबतें बढती नजर आ रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मामला यह है कि 27 जनवरी, 2007 को योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा फैल गया था। इस दंगे में दो लोग मर गए और कई लोग घायल हो गए थे। इस दंगे के मामले में तत्कालीन सांसद व मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, तत्कालीन विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल, गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी पर भडक़ाऊ भाषण देने और दंगा भडक़ाने का आरोप लगाया गया था।
आरोप था कि इनके भडक़ाऊ भाषण के बाद ही दंगा ज्यादा भडक गया था। इस सम्बंध में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। लेकिन गत वर्ष राज्य सरकार ने योगी आदित्यनाथ को अभियुक्त बनाने से मना कर दिया। सरकार ने इसका कारण यह बताया कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं।
इसी साल फरवरी , 2018 में हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एसी शर्मा की डिवीजन बेंच ने इस याचिका को निरस्त कर दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के बाद यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा है कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भडक़ाऊ भाषण के आरोप में केस क्यों नहीं चलाया जाए?।
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