नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक सहित पांच लोगों के खिलाफ शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दूसरा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया। एक विशेष अदालत में नए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकी फंडिंग मामले में इन सभी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ यह आरोपपत्र दाखिल किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एजेंसी ने इन कश्मीरी अलगाववादियों पर 2010 और 2016 में आतंकवादी गतिविधियों और पथराव करने के लिए पाकिस्तान से कथित रूप से धन प्राप्त करने का आरोप लगाया है।
200 पेज के इस आरोपपत्र में यासीन मलिक के साथ ही जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष शब्बीर शाह, दुख्तारन-ए-मिल्लत प्रमुख असिया अंद्राबी, ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के महासचिव मसरत आलम और पूर्व विधायक रशीद इंजीनियर के नाम शामिल हैं।
मलिक को अदालत में पेश किया गया। एंटी टेरर एजेंसी ने मामले की चार्जशीट एनआईए के विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार स्याल की अदालत के समक्ष पेश की।
मलिक को इस साल चार अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। उस पर कश्मीर में 2010 में अलगाववादी आंदोलन में शामिल होने और 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद अशांति फैलाने के आरोप हैं।
आरोपपत्र पेश करते हुए एजेंसी ने कहा कि ताजा सामग्री सोशल मीडिया से जुड़े सबूत, कॉल रिकॉर्ड, मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सामने आई है।
एनआईए ने कहा, "नई सामग्री में आरोपपत्र में शामिल लोगों के सीमा पार से आरोपी हाफिज सईद (लश्कर-ए-तैयबा का सह संस्थापक और जमात-उद-दावा का प्रमुख) और सैयद सलाहुद्दीन (हिजबुल मुजाहिदीन का प्रमुख) के साथ संबंधों को दिखाया गया है।"
इस मामले में अब अदालत 23 अक्टूबर को संज्ञान लेगी।
एनआईए ने 2017 में मीरवाइज उमर फारूक और सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दो अलग-अलग धड़ों से जुड़े कई अलगाववादियों को आतंकी फंडिंग के लिए गिरफ्तार किया था।
--आईएएनएस
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