रिपोर्ट के मुताबिक हर सब-सिस्टम के परफॉर्मेंस डाटा में कुछ राज छिपा हो
सकता है। यहां लिक्विड इंजन का जिक्र बेहद अहम माना जा रहा है। विक्रम
लैंडर की लैंडिंग में इसका अहम रोल माना जा रहा है।
वैज्ञानिक
उन सिग्नल या उत्सर्जन संकेतों की जांच करने में लगे हैं। इससे कुछ
गड़बड़ी का पता चल सकें। इसमें सॉफ्टवेयर की समस्या, हार्डवेयर की खराबी
शामिल हो सकती है। इसरो के वैज्ञानिक लगातार इस बात का
प्रयास कर रहे हैं कि लैंडर से संपर्क स्थापित किया जा सके। वैज्ञानिकों का
मानना है कि अगर विक्रम ने क्रैश लैंड किया है तो उसके उपकरणों को नुकसान
पहुंचा होगा, लेकिन अगर ऑर्बिटर के जरिए सही दिशा में लैंडर से संपर्क करने
की कोशिश की जाए तो संपर्क स्थापित हो सकता है।
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