नई दिल्ली। सरकार सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है। यह जानकारी कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक आरटीआई के जवाब में दी है। हालांकि विभाग ने प्रस्तावित संशोधन के बारे में विस्तृत जानकारी देने से मना कर दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज को इसी महीने डीओपीटी से मिली जानकारी में कहा गया है कि आरटीआई काननू 2005 में संशोधन पर विचार किया जा रहा है, मगर इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है। विभाग ने कहा कि आरटीआई कानून 2005 की धारा 8(1)(आई) के अनुसार, आपके द्वारा मांगी गई सूचना इस स्तर पर नहीं दी जा सकती है।
आरटीआई आवेदन में डीओपीटी द्वारा आरटीआई कानून 2005 में संशोधन का प्रस्ताव तैयार करने की तिथि, प्रस्ताव को मंत्रिमंडल को भेजने की तिथि और प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल द्वारा फैसला लिए जाने की तिथि की जानकारी मांगी गई थी।
आरटीआई कार्यकर्ता ने डीओपीटी द्वारा तैयार किए गए संशोधन के प्रस्ताव की प्रति और प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल के फैसले की प्रति भी मांगी थी।
भारद्वाज ने कहा कि पूर्व विधायी परामर्श नीति (पीएलसीपी)-2014 के तहत सरकार द्वारा विचार किए जाने वाले सभी विधेयक व नीतियों पर परामर्श के लिए उसे एक महीने के लिए सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
भारद्वाज ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, ‘‘सरकार संशोधन के प्रस्ताव को सार्वजनिक बिल्कुल नहीं करना चाहती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संशोधन या कानून जो सरकार लाना चाहती है, उसपर पूर्व विधायी परामर्श नहीं किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘व्हिसलब्लोअर सुरक्षा संशोधन विधेयक में भी उन्होंने कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया। हमने आरटीआई आवेदन दाखिल की, लेकिन उन्होंने हमें कोई सूचना नहीं दी।’’
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