नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय
में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की नीति लागू कर दी गई है। यानी अब दिल्ली
विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए केवल 12वीं कक्षा के अच्छे अंक काफी नहीं
है। बल्कि देश के इस सबसे बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालय में अगले सत्र से
दाखिले के लिए छात्रों को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट भी अच्छे नंबरों के साथ पास
करना होगा।
शुक्रवार शाम दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की एक अहम बैठक
बुलाई गई। इस बैठक में सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट को मंजूरी दे
दी गई है। एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा मंजूरी प्रदान किए जाने के उपरांत
अब यह स्पष्ट हो गया है कि अगले सत्र से दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला
लेने के इच्छुक छात्रों को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पास करना होगा। कॉमन
एंट्रेंस टेस्ट और 12वीं में प्राप्त किए गए अंकों का को 50-50 फीसदी वेटेज
दिया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरअसल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि आगामी
सत्र से देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले 'सेंट्रल
यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट' के जरिए किए जाएं। इसके लिए आवश्यक
तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। देश भर के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों
को इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश व संवाद किया गया है।
'सेंट्रल
यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट' का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा
करवाया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह नई शिक्षा नीति
के अंतर्गत आने वाले इस प्रावधान को लागू करने की इच्छा पहले ही जता चुके
थे। कुलपति के प्रयासों के कारण ही पहले दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक
काउंसिल और अब एग्जीक्यूटिव काउंसिल में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के प्रावधान
को मंजूरी दी गई है।
शुक्रवार शाम बुलाई गई इस बैठक के दौरान
एग्जीक्यूटिव काउंसिल के दो सदस्यों अशोक अग्रवाल और सीमा दास ने मौजूदा
प्रारूप में सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट को लागू किए जाने का विरोध
किया।
दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए दिल्ली
विश्वविद्यालय का अपना अलग 'सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम टेस्ट'
आयोजित किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय एवं यूजीसी द्वारा दिए गए निदेशरें के
बाद अब अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय भी इस और तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका
सीधा मतलब यह है कि अगले शैक्षणिक सत्र 2022 -2023 से दिल्ली
विश्वविद्यालय, जामिया, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू
विश्वविद्यालय समेत अन्य ऐसे सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला केवल
कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से संभव हो सकेगा।
मौजूदा व्यवस्था के तहत
अधिकांश विश्वविद्यालयों में 12वीं कक्षा में प्राप्त किए गए अंकों के आधार
पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। छात्रों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों में
दाखिले के लिए अलग-अलग तिथियों पर संबंधित विश्वविद्यालय के फॉर्म भरने
होते हैं। मनचाहे विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं मिल पाने पर छात्र उन
विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों का रुख करते हैं जहां दाखिले के लिए सीटें शेष
बची रह जाती हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के
सदस्य अशोक अग्रवाल इस नए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का विरोध कर रहे हैं। उनका
कहना है कि एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में भी इसका पुरजोर विरोध किया।
अग्रवाल के मुताबिक इस तरह का कॉमन एंटरेंस टेस्ट बिना तैयारी के लाया जा
रहा है। इसमें कई खामियां हैं जिसके कारण गरीब बच्चों को इसका सबसे ज्यादा
नुकसान उठाना पड़ेगा। इसे लेकर अभी और चर्चा की जानी चाहिए जिसके बाद ही यह
कॉमन एंट्रेंस टेस्ट अमल में लाया जा सकता है। अशोक अग्रवाल के मुताबिक इस
नए प्रावधान से दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए गला काट
प्रतिस्पर्धा और अधिक बढ़ जाएगी। साथ ही कोचिंग सेंटर भी उभरने लगेंगे
जिनकी पहुंच केवल समृद्ध छात्रों तक है।
--आईएएनएस
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