नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से कथित तौर पर 10.24 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में एक निजी फर्म हरि पल्सेस और उसके पार्टनर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। 2018 और 2019 के बीच, फर्म ने कथित तौर पर बैंक से ऋण लिया और पूरी राशि का गबन कर लिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीबीआई को इस संबंध में 18 फरवरी को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के उप महाप्रबंधक और क्षेत्रीय प्रमुख पार्थसारथी मिश्रा द्वारा हरि पल्सेस, उसके सहयोगियों चंदाबाई खंडेलवाल, राजेंद्र खंडेलवाल, कलावती खंडेलवाल, माणकचंद खंडेलवाल और गारंटर हरिनारायण खंडेलवाल व अन्य के खिलाफ शिकायत मिली थी।
सभी प्रकार के अनाज और दालों के प्रसंस्करण, छंटाई और व्यापार में लगी फर्म ने ऋण लेते समय अपने गोदाम के संपत्ति के दस्तावेज सुरक्षा जमा के रूप में दिए थे। जब बैंक कर्मचारी सत्यापन के लिए गोदामों में गए, तो उन्होंने इसे चालू पाया। हालांकि, अगली दौरे पर, उन्हें बंद कर दिया गया था।
फर्म भी दो साल के भीतर एनपीए बन गई। जब बैंक ने बकाया की रिकवरी करना शुरू किया, तो आरोपी और उनका परिवार अंडर ग्राउंड हो गया और 19 जून, 2019 के बाद संपर्क नहीं किया जा सका। बैंक ने समाचार पत्रों में डिमांड नोटिस प्रकाशित किया, लेकिन आरोपी अभी भी लापता थे।
अब, सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और उनके खिलाफ तलाशी अभियान शुरू किया गया है।
मामले में आगे की जांच जारी है।
--आईएएनएस
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