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सीबीआई को आनंद सुब्रमणियम के अज्ञात योगी होने के बारे में मिले कुछ और इलेक्ट्रॉनिक सबूत

CBI finds some more electronic evidence about Anand Subramaniam being an unknown yogi - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) धोखाधड़ी मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस बात के इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिले हैं कि एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्णा की मेहरबानी से भारी-भरकम पैकेज पा रहा आनंद सुब्रमणियम ही अज्ञात योगी हो सकता है। सीबीआई ने गत गुरुवार को आनंद सुब्रमणियम को हिरासत में लिया था। दिल्ली की एक अदालत ने आनंद को छह मार्च तक सीबीआई की हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।

आनंद को कथित रूप से योगी के कहने पर चित्रा ने भारी-भरकम पैकेज देकर एनएसई में नियुक्त किया था। इस्तीफे के वक्त आनंद एनएसई का समूह संचालन अधिकारी था।

सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक इस बात के सबूत मिले हैं कि सुब्रमणियम के चेन्नई स्थित आवास के पास ही उस मोबाइल का लोकेशन था, जिससे चित्रा को ई मेल भेजे गये थे।

सूत्रों ने बताया कि योगी द्वारा भेजे गये ईमेल तक आनंद की पहुंच थी, इसीलिये यह संदेह मजबूत होता है कि वह खुद ही योगी था। इसके अलावा यह संदेह है कि आनंद ईमेल को संशोधित करके उन्हें योगी के नाम से भेजता था। सीबीआई फिलहाल आनंद का बयान रिकॉर्ड कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई की एक टीम को मुम्बई में सेबी के कार्यालय में भी आपत्तिजनक दस्तावेज, सबूत और डिजिटल दस्तावेज मिले हैं, जो आरोपियों के झूठ को बेनकाब करने वाले हैं। सीबीआई सभी आरोपियों के खिलाफ मजबूत मामला तैयार कर रही है ताकि अदालत में उन्हें अपना पक्ष रखने में मदद मिले।

सीबीआई ने आधिकारिक रूप से यह पुष्टि नहीं की है कि आनंद ही अज्ञात योगी है।

सीबीआई ने 19 फरवरी को एनएसई के पूर्व निदेशक रवि नारायण से भी पूछताछ की थी। रवि नारायण चित्रा से पहले एनएसई की कमान संभाल रहे थे। रवि नारायण से सीबीआई ने दिल्ली में चित्रा से मुम्बई में पूछताछ की। दोनों कई सवालों से बचते नजर आये।

सीबीआई की तरह एनएसई और एनएसई का फॉरेंसिक ऑडिट करने वाले फर्म ईवाई का भी यही मानना है कि आनंद ही योगी है। हालांकि, सेबी की राय इनसे काफी जुदा है।

सेबी के 11 फरवरी को जारी आदेश के अनुसार, आनंद अज्ञात योगी के संपर्क में है लेकिन वह खुद योगी नहीं है।

सेबी का कहना है कि आनंद एनएसई में खुद शीर्ष पद पर था और उसकी पहुंच गोपनीय जानकारियों तक खुद थी तो फिर ऐसी स्थिति में चित्रा उसे ईमेल के जरिये गोपनीय जानकारियां क्यों भेजती।

चित्रा ने योगी के साथ एनएसई के पांच साल के वित्तीय अनुमान, लाभांश, एनएसई के निदेशक मंडल की बैठक का एजेंडा, कर्मचारियों की रेटिंग के बारे में सलाह आदि जानकारियां साझा की थीं।

सेबी ने चित्रा पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगााया था।

कानून विशेषज्ञों ने आईएएनएस को कहा कि अगर आनंद को ही योगी मान लिया जाता है तो संवेदनशील तथा गोपनीय जानकारियां बाहरी व्यक्ति के साथ साझा करने का जो आरोप चित्रा पर लगा है , वह खारिज हो जायेगा।

सेबी ने कहा है कि चित्रा अज्ञात योगी की पहचान नहीं उजागर करना चाहती है और इसी के कारण उसने ऐसा दावा किया है कि वह आध्यात्मिक शक्ति है। सेबी के मुताबिक चित्रा ने एनएसई के समक्ष गलत और भ्रामक बयान दिया है।

--आईएएनएस

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Web Title-CBI finds some more electronic evidence about Anand Subramaniam being an unknown yogi
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