नई दिल्ली| केंद्रीय कैबिनेट ने
बुधवार को नई शिक्षा नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की है। इस नई शिक्षा नीति
में स्कूली शिक्षा को लेकर कई बड़े बदलाव किए गए हैं। हालांकि नई शिक्षा
नीति लागू होने के उपरांत भी 10वीं और 12वीं में बोर्ड परीक्षाओं की
प्रासंगिकता बनी रहेगी। पहले की ही तरह इन कक्षा के छात्रों को बोर्ड की
परीक्षाओं में शामिल होना होगा।
नई शिक्षा नीति में भी छात्रों को 10वीं और 12वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा
देनी होगी, लेकिन अब इन कक्षाओं में पढ़ाई का रंग-ढंग बदला जाएगा। रटने
वाली शिक्षा के स्थान पर ज्ञानवर्धक पाठ्यक्रम लागू किए जाएंगे। यह
पाठ्यक्रम छात्रों की रुचि के अनुरूप तैयार किए जाएंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
केंद्रीय
शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा मामलों की सचिव अनीता करवाल ने कहा,
"बोर्ड एग्जाम रटने पर नहीं, बल्कि ज्ञान के इस्तेमाल पर अधारित होंगे। नई
प्रक्रिया के अंतर्गत छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरूआत हो
जाएगी। सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड
होंगे।"
स्कूली शिक्षा में अब 10 प्लस दो की जगह 5 प्लस 3 प्लस 3
प्लस 4 का नया सिस्टम लागू किया गया है। इसके तहत छात्रों को चार विभिन्न
वर्गों में बांटा में बांटा गया है। पहले वर्ग (5) में 3 से 6 वर्ष वर्ष
की आयु के छात्र होंगे जिन्हें प्री प्राइमरी या प्ले स्कूल से लेकर कक्षा
दो तक की शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद कक्षा 2 से 5 तक का पाठ्यक्रम तैयार
किया जाएगा। उसके उपरांत कक्षा 5 से 8 और फिर अंत में 4 वर्षो के लिए 9 से
लेकर 12वीं तक के छात्रों को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कार्यक्रम बनाया
गया है।
ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए और सार्वभौमिक पहुंच
सुनिश्चित की गई है। विभिन्न उपायों के माध्यम से वर्ष 2030 तक समस्त
स्कूली शिक्षा के लिए 100 सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करना लक्षित किया गया
है।
कोई भी बच्चा जन्म या पृष्ठभूमि की परिस्थितियों के कारण सीखने
और उत्कृष्टता प्राप्त करने के किसी भी अवसर से वंचित न रहें। सामाजिक और
आर्थिक रूप से वंचित समूहों पर विशेष जोर दिया जाएगा। वंचित क्षेत्रों के
लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र और अलग से लिंग समावेश निधि की स्थापना की
जाएगी।
करियर और खेल-संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक
विशेष डे-टाईम बोर्डिग स्कूल के रूप में 'बाल भवन' स्थापित करने के लिए
प्रोत्साहित किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति में निरस्त हुआ 'एमफिल', पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सीधे पीएचडी
देश की नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्रों को एमफिल नहीं करना
होगा। एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है। नई शिक्षा
नीति लागू होने के बाद अब छात्र ग्रेजुएशन,पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद
सीधे पीएचडी करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक
में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। इसी के साथ अब मानव संसाधन विकास
मंत्रालय का नाम बदलकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा, "नई शिक्षा नीति में छात्रों के लिए विभिन्न
शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में मल्टिपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम होगा। पहले साल
के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और उसके साल बाद डिग्री दी
जाएगी। नई शिक्षा नीति के मुताबिक यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम 2
वर्ष में ही छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा 1 वर्ष में
सर्टिफिकेट और कोर्स पूरा करने पर डिग्री प्रदान की जाएगी।"
नई
शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया जा रहा है। कानून और
चिकित्सा कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थान एक ही नियामक द्वारा
संचालित होंगे। निजी और सार्वजनिक उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए साझा नियम
होंगे। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन
एन्ट्रेंस एग्जाम होंगे
पांचवी तक पढ़ाई के लिए मातृ भाषा या
स्थानीय भाषा माध्यम का इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने
लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि जीडीपी का छह फीसदी शिक्षा में लगाया जाए
जो अभी 4.43 फीसदी है।
केंद्रीय शिक्षा सचिव ने कहा, "अमेरिका की
नेशनल साइंस फाउंडेशन की तर्ज पर भारत में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लाया
जाएगा। इसमें विज्ञान के साथ सामाजिक विज्ञान भी शामिल होगा और शोध के बड़े
प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे
आने में मदद करेगा।"
बुधवार को जारी की गई नई शिक्षा नीति में कहा
गया है कि शिक्षकों को मजबूत एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से भर्ती
किया जाएगा। पदोन्नति योग्यता-आधारित होगी, तथा मूल्यांकन बहु-स्रोत आवधिक
प्रदर्शन पर आधारित होगा। शैक्षिक प्रशासक या शिक्षक प्रशिक्षक बनने के
लिए शिक्षकों को प्रगति पथ उपलब्ध होंगे।
नई शिक्षा नीति में विज्ञान के छात्र भी ले सकेंगे संगीत विषय
देश की नई शिक्षा नीति में अब छात्रों के समक्ष विज्ञान, कॉमर्स और आर्ट्स के रूप में सीमाएं नहीं होंगी। विज्ञान या इंजीनियरिंग के छात्र अपनी रुचि के मुताबिक, कला या संगीत जैसे विषयों का चयन कर सकते हैं। विभिन्न शिक्षण संस्थानों एवं छात्र इकाइयों ने नई शिक्षा नीति का स्वागत किया है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इसे देश की आकांक्षाओं के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत को गढ़ने में महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहा है।
एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, "भारतीय मूल्यों के अनुरूप तथा वैश्विक मानकों पर खरा उतरने योग्य शिक्षा नीति की आवश्यकता देश को लंबे समय से थी, जिन बड़े सुधारों की आवश्यकता भारत की जनता लंबे समय से कर रही थी, उन सुधारों पर सरकार ने ध्यान दिया है। हम आशा करते हैं कि ये परिवर्तन करोड़ों की संख्या वाले भारतीय छात्र समुदाय के सपनों को पंख देगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बिना किसी देरी के नए सुधार जमीनी स्तर पर संभव हों। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए अहर्निश कार्य करने वाले समिति के सभी सदस्यों तथा भारत सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद तथा अभिनंदन।"
वहीं, देशभर में 830 से अधिक विद्यालयों का संचालन करने वाली संस्था लीड स्कूल के संस्थापक सुमित मेहता ने कहा, "नई शिक्षा नीति में छात्रों को छोटी उम्र से शिक्षा प्रदान करने के महत्व को समझा गया है। छात्रों को विज्ञान, कॉमर्स, आर्ट्स जैसी सीमा-बाधाओं से दूर रखा गया है। साथ ही मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के विकल्प दिए गए हैं, जिससे शिक्षा रुचिकर एवं सरल हो सकेगी। हालांकि प्राथमिक स्तर पर भी छात्रों और अभिभावकों को शिक्षा की भाषा चुनने का विकल्प दिया जाना चाहिए।"
ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट ने भी नई शिक्षा नीति का समर्थन किया है। फ्रंट ने कहा, "देशहित में हम इस नीति का स्वागत करते हैं। इस क्षेत्र में बड़े सुधार के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह बदलना है। अब उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक संस्था होगी।"
PM मोदी ने किया स्वागत
मैं तहे दिल से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का स्वागत करता हूँ! शिक्षा क्षेत्र में एक लंबे समय से इस सुधार का इंतजार था, जो आने वाले समय में लाखों लोगों का जीवन बदलेगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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