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मंत्रिमंडल ने पैक्स के कंप्यूटरीकरण को मंजूरी दी

Cabinet approves computerization of PACS - Delhi News in Hindi

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कंप्यूटरीकरण को बुधवार को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पैक्स की दक्षता बढ़ाने तथा उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने और पैक्स को अपने व्यवसाय में विविधता लाने व विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से कंप्यूटरीकरण की मंजूरी दी है।

इस परियोजना में कुल 2,516 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें केंद्र सरकार 1,528 करोड़ रुपये का वहन करेगी। इसके तहत पांच वर्ष की अवधि में लगभग 63,000 कार्यरत पैक्स को कंप्यूटरीकृत किया जाएगा।

पैक्स देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) की त्रि-स्तरीय व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर अपनी भूमिका निभाती हैं। इससे लगभग 13 करोड़ किसानों को लाभ होगा। यह कदम पारदर्शिता एवं दक्षता लाएगा, विश्वसनीयता बढ़ाएगा और पैक्स को पंचायत स्तर पर नोडल सेवा वितरण बिंदु बनने में मदद करेगा।

आंकड़ों का संग्रहण, साइबर सुरक्षा, हार्डवेयर, मौजूदा रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, रख-रखाव एवं प्रशिक्षण के साथ- साथ क्लाउड आधारित एकीकृत सॉफ्टवेयर इस परियोजना के मुख्य घटक हैं।

देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिए गए केसीसी ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) है और पैक्स के माध्यम से इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) ऋण छोटे व सीमांत किसानों को दिए गए हैं। अन्य दो स्तरों अर्थात राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड द्वारा स्वचालित कर दिया गया है और उन्हें साझा बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) के तहत ला दिया गया है।

हालांकि, अधिकांश पैक्स को अब तक कम्प्यूटरीकृत नहीं किया गया है और वे अभी भी हस्तचालित तरीके से कार्य कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप उनके संचालन में अक्षमता और भरोसे की कमी दिखाई देती है। कुछ राज्यों में, पैक्स का आंशिक आधार पर कंप्यूटरीकरण किया गया है। उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयर में कोई समानता नहीं है और वे डीसीसीबी एवं एसटीसीबी के साथ जुड़े हुए नहीं हैं।

वित्तीय समावेशन के उद्देश्यों को पूरा करने तथा किसानों, विशेष रूप से छोटे व सीमांत किसानों (एसएमएफ) को दी जाने वाली सेवाओं की आपूर्ति को मजबूत करने के अलावा, पैक्स का कंप्यूटरीकरण विभिन्न सेवाओं एवं उर्वरक, बीज आदि जैसे इनपुट के प्रावधान के लिए नोडल सेवा वितरण बिंदु बन जाएगा।

यह कदम ऋणों के त्वरित निपटान, अपेक्षाकृत कम हस्तांतरण लागत, त्वरित लेखा परीक्षा और राज्य सहकारी बैंकों एवं जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के साथ भुगतान व लेखांकन संबंधी असंतुलन में कमी सुनिश्चित करेगा।

इस परियोजना में साइबर सुरक्षा एवं आंकड़ों के संग्रहण के साथ-साथ क्लाउड आधारित साझा सॉफ्टवेयर का विकास, पैक्स को हार्डवेयर संबंधी सहायता प्रदान करना, रख-रखाव संबंधी सहायता एवं प्रशिक्षण सहित मौजूदा रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शामिल है। यह सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में होगा, जिसमें राज्यों की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित करने संबंधी कस्टमाइजेशन होगा।

केंद्र और राज्य स्तर पर परियोजना प्रबंधन इकाइयां (पीएमयू) स्थापित की जायेंगी। लगभग 200 पैक्स के समूह में जिला स्तरीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। उन राज्यों के मामले में जहां पैक्स का कंप्यूटरीकरण पूरा हो चुका है, 50,000 रुपये प्रति पैक्स की दर से भुगतान किया जाएगा बशर्ते कि वे साझा सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत होने/अपनाने के लिए सहमत हों, उनका हार्डवेयर आवश्यक विनिदेशरें को पूरा करता हो और उनका सॉफ्टवेयर 1 फरवरी, 2017 के बाद शुरू किया गया हो।

--आईएएनएस

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