नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर देश के कई हिस्सों में, खासतौर से दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक हो रही हिंसक घटनाएं आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकती हैं। ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है। विश्लेषकों का मानना है कि इस कानून ने अधिकांश जनता को दो वर्गों में बांट दिया है। एक वर्ग जहां खुलकर इसका समर्थन कर रहा है तो दूसरा पक्ष खुलकर विरोध। सीएए ने जनता में आमने-सामने दो फ्रंट खड़े कर दिए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ऐसे में मौजूदा समय चल रहे झारखंड और आगामी समय में होने वाले दिल्ली और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। इसको लेकर कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहीं हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीते सोमवार को ट्वीट कर जहां सीएबी और एनआरसी को बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण करने वाला हथियार बताया, वहीं बाद में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस कर हिंसा के पीछे वोटों के तुष्टीकरण को वजह बताते हुए कांग्रेस सहित विपक्ष पर हमला बोला था।
उन्होंने कहा था, एक ओर (असदुद्दीन) ओवैसी और (आप नेता) अमानतुल्लाह खान जैसे लोग जिन्ना की तरह देश को बांटने की साजिश रचते हैं तो दूसरी ओर ममता बनर्जी भी पश्चिम बंगाल में जाति और धर्म की राजनीति कर रहीं हैं। वास्तव में आज ये पार्टियां एक समुदाय के लिए वोट के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रहीं हैं।
मुख्तार अंसारी की मौत : पूर्वांचल के चार जिलों में अलर्ट, बांदा में भी बढ़ी सुरक्षा, जेल में अचानक बिगड़ी थी तबीयत
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope