एक नए वैश्विक सर्वे में दुनिया के 15 देशों के बिज़नेस लीडर्स ने साफ़ कहा है- अब फॉसिल फ्यूल्स से हटकर रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ तेज़ी से बढ़ना वक्त की ज़रूरत है। ये सर्वे दुनिया भर की मिड-साइज़ और बड़ी कंपनियों के टॉप एक्ज़ीक्यूटिव्स से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है, और इसके नतीजे दिखाते हैं कि हम एक ग्लोबल टर्निंग पॉइंट पर पहुँच चुके हैं।
सर्वे के मुताबिक 97% बिज़नेस लीडर्स चाहते हैं कि उनकी सरकारें कोयला और अन्य पारंपरिक ईंधनों से हटकर सोलर, विंड और क्लीन एनर्जी की तरफ शिफ्ट करें। इनमें से करीब 78% ने साफ कहा कि वे 2035 या उससे पहले ही रिन्यूएबल-बेस्ड बिजली प्रणाली लागू होते देखना चाहते हैं।
यह सर्वे Savanta द्वारा किया गया और इसे E3G, Beyond Fossil Fuels और We Mean Business Coalition ने कमिशन किया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सर्वे में शामिल आधे से ज़्यादा कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनके देशों की सरकारें रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ़ तेज़ी से नहीं बढ़तीं, तो वे अपना ऑपरेशन और सप्लाई चेन उन देशों में शिफ्ट कर सकती हैं जहाँ ये सुविधाएं मौजूद हैं। करीब 75% नेताओं ने माना कि रिन्यूएबल एनर्जी से देश की एनर्जी सिक्योरिटी मज़बूत होगी, और 77% ने इसे आर्थिक ग्रोथ से जोड़ा। जर्मनी के 78% लीडर्स ने कहा कि रिन्यूएबल पर शिफ्ट होने से उनका देश महंगे और अस्थिर ऊर्जा आयात से बच पाएगा।
Iberdrola के क्लाइमेट डायरेक्टर गोंज़ालो साएंज दे मीरा ने कहा, "रिन्यूएबल एनर्जी में इनवेस्ट करना अब सिर्फ़ पर्यावरण या CSR की बात नहीं है, ये बिज़नेस स्ट्रैटेजी है। ये कंपनियों को लॉन्ग-टर्म में मजबूत बनाती है और कीमतों को स्थिर रखती है।" Schneider Electric के स्टुअर्ट लेमन ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी अपनाने वाली कंपनियां भविष्य में इनोवेशन, कॉस्ट सेविंग और कॉम्पिटिटिव एडवांटेज में आगे रहेंगी।
कुछ देशों के नतीजे खास रहेः
भारत और इंडोनेशिया: 93% और 94% कारोबारी नेताओं ने कहा कि कोयले से दूरी और रिन्यूएबल में निवेश ज़रूरी है। ब्राज़ील: 89% लीडर्स 2035 तक पूरी तरह रिन्यूएबल बिजली पर शिफ्ट का समर्थन करते हैं। ऑस्ट्रेलिया: 60% ने कहा, इससे नई नौकरियां बनेंगी, और अगर सरकार पीछे हटी तो निवेश का माहौल बिगड़ेगा। तुर्किए: 81% ने रिन्यूएबल की बात कही, लेकिन 39% ने माना कि फॉसिल फ्यूल लॉबियों का दबाव विकास में रोड़ा है। जापान और कनाडा: नीति में पारदर्शिता और कामगारों के लिए री-स्किलिंग की मांग ज़ोर पकड़ रही है।
गैस नहीं, डायरेक्ट रिन्यूएबल चाहिएः
सर्वे से यह भी सामने आया कि दो-तिहाई कारोबारी चाहते हैं कि कोयले को हटाने के बाद गैस को मिडवे के रूप में इस्तेमाल न किया जाए, बल्कि सीधे रिन्यूएबल, स्टोरेज और ग्रिड में निवेश हो। अमेरिका, मेक्सिको और इटली जैसे गैस-निर्भर देशों में भी यही रुझान दिखा।
क्लियर पॉलिसी और तेज़ परमिटिंग की मांगः
कंपनियों ने सरकारों से कहा कि उन्हें अब अस्पष्ट लक्ष्यों और धीमी परमिटिंग प्रक्रिया से ऊपर उठकर, एक क्लियर और निवेश योग्य रोडमैप चाहिए। साथ ही, कोयला-आधारित अर्थव्यवस्थाओं के लिए वर्कफोर्स री-स्किलिंग और जॉब क्रिएशन प्लान भी ज़रूरी है।
‘ये सिर्फ़ क्लाइमेट की जंग नहीं, कॉम्पिटिशन की भी हैः
We Mean Business Coalition की CEO मारिया मेंडीलूसे ने कहा, “रिन्यूएबल एनर्जी अब एक वैश्विक प्रतिस्पर्धा का मुद्दा है। जो देश पहले तेज़ी दिखाएंगे, वही भविष्य के निवेश और नौकरियों को आकर्षित कर पाएंगे।” सर्वे का साफ़ संदेश है – कारोबार अब सरकारों से एक स्पष्ट ऊर्जा बदलाव की उम्मीद कर रहा है। अगर ये बदलाव नहीं हुआ, तो सरकारें न सिर्फ़ क्लाइमेट गोल्स, बल्कि बिज़नेस का भरोसा भी खो सकती हैं।
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