IFJAS 2025 के दूसरे दिन क्षेत्रीय शिल्प और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की रही धूम
फैशन जूलरी एवं एक्सेसरीज़ के क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और नवाचार की अनूठी मिसाल बना इंडियन फैशन जूलरी एंड एक्सेसरीज़ शो ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ग्रेटर नोएडा/दिल्ली-एनसीआर | इंडिया एक्सपो सेंटर में जारी इंडियन फैशन जूलरी एंड एक्सेसरीज़ शो (IFJAS 2025) के दूसरे दिन फैशन और शिल्प के संगम ने दर्शकों और व्यापारिक प्रतिनिधियों को खासा आकर्षित किया। दिनभर चले रैंप शो, प्रदर्शनी स्टॉल्स और व्यावसायिक संवाद सत्रों ने शो को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। दिन का समापन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पुरस्कार और सम्मान समारोह के साथ हुआ, जिसमें एमएसएमई मंत्रालय की संयुक्त सचिव मर्सी एपाओ समेत कई गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
शिल्प और व्यवसाय की संगम स्थली बना IFJAS
इस वर्ष 19वें संस्करण में दाखिल हो चुके IFJAS में दूसरे दिन 200 से अधिक प्रदर्शकों और दर्जनों देशों से आए खरीदारों के बीच व्यवसायिक संवादों ने माहौल को उत्साह से भर दिया। देशभर से आए शिल्पकारों को जहां अपने हुनर का प्रदर्शन करने का अवसर मिला, वहीं डिजाइनरों और उद्यमियों ने अपने नवीनतम कलेक्शनों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
रैंप शो में प्रस्तुत ट्रेंडी और समकालीन डिज़ाइन दर्शकों और खरीदारों के बीच चर्चा का केंद्र रहे। फैशन जूलरी, जीवनशैली उत्पाद और वस्त्रों के समावेशी संग्रह ने मंच पर जीवंतता भर दी।
पुरस्कार और सम्मान से बढ़ा उत्साह
इस मौके पर फैशन जूलरी और फैशन एक्सेसरीज की विभिन्न कैटेगिरी में उत्कृष्ट प्रदर्शकों और खरीदारों को सम्मानित किया गया (पुरस्कार सूची संलग्न)। ईपीसीएच (EPCH) की ओर से आयोजित इस समारोह में परिषद के पदाधिकारी और सदस्यों की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की। उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में ईपीसीएच महानिदेशक नीरज खन्ना, आईईएमएल अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार, ईपीसीएच उपाध्यक्ष सागर मेहता, आईएफजेएएस अध्यक्ष जे. पी. सिंह, उपाध्यक्ष मोहम्मद रईस समेत परिषद के अनेक वरिष्ठ सदस्य शामिल रहे।
भारतीय विरासत और वैश्विक बाज़ार का संगम
ईपीसीएच अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने कहा, "भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ने IFJAS को एक विशिष्ट स्वरूप दिया है। पारंपरिक कारीगरी को समकालीन स्वरूप में प्रस्तुत करते हुए हमारे कारीगर वैश्विक मानकों पर खरी उतर रहे हैं।"
उन्होंने यह भी बताया कि भारत के विभिन्न कोनों से आए प्रतिभागियों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के साथ संवाद का अवसर मिला, जिससे उन्हें निर्यात बाजार में कदम जमाने का सही मंच प्राप्त हुआ है।
सस्टेनेबिलिटी बना आकर्षण का केंद्र
आईईएमएल अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, “यह शो अवसरों का केंद्र है। यहां प्रदर्शित उत्पादों में सस्टेनेबिलिटी की स्पष्ट झलक है। बांस, जूट, कॉटन, प्राकृतिक रंगों और पुनर्चक्रित सामग्री से बने उत्पाद खरीदारों को विशेष रूप से आकर्षित कर रहे हैं।”
पर्यावरण के प्रति जवाबदेही को केंद्र में रखकर डिज़ाइन किए गए उत्पादों में बांस की जूलरी, जूट-कॉटन एक्सेसरीज, हैंड पेंटेड वस्त्र, पुनर्चक्रित डेनिम, बचे हुए कपड़े और कागज़ से बने बैग्स, तथा पौधों से प्राप्त रेशों से बने फैशन एक्सेसरीज़ को प्रमुखता दी गई है।
खरीदारों के अनुभव ने बढ़ाया आयोजन का मूल्य
स्पेन से आए खरीदार गोंजालो प्लाजास डियाज ने कहा, "मैं यहां पुराने सप्लायर्स से जुड़ने और नए सप्लायर्स की तलाश में आया था, और मुझे अत्यधिक गुणवत्ता वाले नए विकल्प मिले हैं। भारतीय उत्पादों की मौलिकता और विशिष्टता अतुलनीय है।"
दक्षिण अफ्रीका की खरीदार लिजेल ओल्कर्स ने कहा, "भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम करना मेरे लिए बेहद संतोषजनक रहा है। उनके डिज़ाइन में विविधता और व्यवसायिक व्यवहार ने इस शो को मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बना दिया है।"
भारतीय हस्तशिल्प के लिए वैश्विक मंच
ईपीसीएच उपाध्यक्ष सागर मेहता ने शो को “पर्यावरण अनुकूल और समावेशी सप्लाई चेन” की ओर एक बड़ा कदम बताया। "प्रदर्शकों ने अपने विचारशील और अभिनव उत्पादों से खरीदारों को आकर्षित किया है। यह न सिर्फ व्यापार को बढ़ावा देगा बल्कि भारतीय हस्तशिल्प उद्योग को जिम्मेदार मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में भी अग्रसर करेगा।"
निर्यात आंकड़े दे रहे हैं उत्साह
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि "2024-25 में भारत का हस्तशिल्प निर्यात 33,123 करोड़ रुपये (3,918 मिलियन डॉलर) रहा, जिसमें फैशन जूलरी और एक्सेसरीज़ का हिस्सा 6,252 करोड़ रुपये (739 मिलियन डॉलर) रहा है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 7.92% (रुपये में) और 5.64% (डॉलर में) की वृद्धि दर्शाता है।"
उन्होंने कहा कि भारतीय हस्तशिल्प विश्व स्तर पर एक ब्रांड बन चुका है और IFJAS जैसे आयोजन इसे और सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
IFJAS 2025 का दूसरा दिन न केवल व्यावसायिक रूप से सफल रहा बल्कि भारत की सांस्कृतिक और कलात्मक पहचान को वैश्विक दर्शकों के समक्ष मजबूती से प्रस्तुत करने का अवसर भी बना। फैशन, सस्टेनेबिलिटी, नवाचार और परंपरा का अद्वितीय संगम इस आयोजन को देश-विदेश के उद्योग जगत में उल्लेखनीय स्थान दिला रहा है।
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