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जेटली की ‘बजट’ पोटली से जनता को इन तोहफों की उम्मीद, जानें-क्या है खास

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगे। जेटली की ओर से संसद में पेश किया जाने वाला मौजूदा सरकार का अंतिम पूर्ण बजट शायद पिछले चार बजट से अलग होगा, क्योंकि इस पर पिछले साल लागू की गई जीएसटी प्रणाली का असर रहेगा। अगले साल 2019 की पहली छमाही में ही आम चुनाव है। इस लिहाज से भाजपा की मौजूदा सरकार के लिए यह अंतिम पूर्ण बजट है। ऐसे में मोदी सरकार भी जनता के लिए लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा कर सकती है।

आईये नजर डालें, जेटली से क्या है आस?

रियल एस्टेट को जगी ये आस


देश के रियल एस्टेट की भी वित्तमंत्री के बजट के पिटारे से नई घोषणाओं की उम्मीद है। नोटबंदी के प्रभावों और रियल एस्टेट कानून 2016 के प्रावधान को लागू किए जाने से रियल एस्टेट सेक्टर अभी तक पूरी तरह उबरा नहीं है। ऐसे में कारोबार का यह क्षेत्र नए बजट से नई उम्मीदें लगाए बैठा है। देश के निजी रियल एस्टेट डेवलपर्स के शीर्ष निकाय कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई, पश्चिमी यूपी) के उपाध्यक्ष अमित मोदी को उम्मीद है कि बजट-2018 इस क्षेत्र के लिए अधिक सहूलियत, निवेश और कराधान प्रणाली में सुधार जैसी कुछ बड़ी घोषणाएं लेकर आएगा। नोटबंदी के सालभर बाद रियल एस्टेट किफायती आवास श्रेणी के दायरे को बढ़ाए जाने और इस क्षेत्र पर एक अप्रैल से लागू हो रही वस्तु एवं सेवा कर की मौजूदा दर को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसद किए जाने की उम्मीद कर रहा है।

आयकर स्लैब में हो सकता है बदलाव

वित्त मंत्री आयकर स्लैब में कुछ बदलाव कर सकते हैं। तीन लाख रुपए तक की आय को पूरी तरह से कर मुक्त किया जा सकता है। इस समय ढाई लाख रुपए तक की सालाना आय कर मुक्त है जबकि ढाई से 5 लाख रुपए की आय पर 5 प्रतिशत की दर से कर लगता है। वित्त मंत्री इस स्लैब को तीन से 5 लाख रुपए कर सकते हैं। इसके बाद 5 से 10 लाख रुपए की आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत दर से कर देय होगा।

सिंगल वीडियो क्लियरेंस

सरकार को अनुमोदन को आसान बनाने के लिए सिंगल वीडियो क्लियरेंस प्रणाली लागू करनी चाहिए, ताकि आसान अनुमोदन प्रक्रिया से परियोजनाओं की डिलीवरी समय पर दी जा सके। इस क्षेत्र में निर्माण कार्य की गति और लागत भी महत्वपूर्ण है जो एक घर की उचित कीमत तथा परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता को सुनिश्चित करते हैं।

बढ़ सकती है होम लोन पर कर कटौती की सीमा

सरकार को पहली बार घर खरीदने वाले उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए पांच लाख रुपये तक के होम लोन पर कर कटौती की सीमा बढ़ानी चाहिए। वर्तमान में यह सीमा दो लाख रुपये सालाना है। इसी तरह की छूट 1 लाख रुपये ऋण के पुनर्भुगतान पर भी मिलनी चाहिए।

बढ़ सकती है कर मुक्त आय की सीमा

उद्योग व आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी बजट में कर मुक्त आय की सीमा ढाई से बढ़ाकर तीन लाख रुपये की जा सकती है। साथ ही कंपनी कर की दर को मौजूदा 30-34 प्रतिशत से घटाकर 28 प्रतिशत पर लाया जा सकता है।

जीएसटी के दायरे में आ सकते है पेट्रोल, डीजल




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