नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली प्रदेश संगठन में गुटबाजी से चुनावी गतिविधियों पर पड़ रहे असर को देखते हुए खास एडवाइजरी जारी की है। पार्टी आलाकमान ने साफ कहा है कि आपसी लड़ाई में अगर चुनाव पर असर पड़ा तो फिर किसी की खैर नहीं होगी। पार्टी ने दिल्ली यूनिट के नेताओं को आपसी मतभेद और मनभेद दोनों भुलाकर 21 वर्षों से दिल्ली की सत्ता में जारी वनवास खत्म करने के लिए जी-जान लगा देने को कहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं को जोडऩे के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नवंबर, 2016 में जब उत्तर-पूर्वी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, तब से कुछ स्थानीय नेता असंतुष्ट चल रहे हैं। नेताओं में आपसी मतभेद के कारण पार्टी की बैठकों और कार्यक्रमों में अधिकांश समय एक-दूसरे की शिकायतों में निकल जाता है, बहुत कम ऐसे मौके आए जब टीम वर्क की तरह काम हुआ।
हालांकि रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22 दिसंबर की रैली इसका अपवाद रही। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम होने के कारण यहां दिल्ली के सभी नेताओं ने भीड़ लाने में सहयोग किया, जिससे यह रैली हिट रही। मगर हाल में 30 दिसंबर को तालकटोरा स्टेडियम में जब पार्टी ने व्यापारियों का सम्मेलन किया तो इसमें अपेक्षित भीड़ नहीं जुटी। ज्यादातर कुर्सियां खाली रहीं। इसी तरह कनॉट प्लेस में 28 दिसंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में दिल्ली इकाई ने केजरीवाल सरकार के रिपोर्ट कार्ड के जवाब में झूठ और विश्वासघात की आप सरकार नाम से आरोपत्र जारी किया था। इसमें भी ज्यादा भीड़ नजर नहीं आई थी।
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