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गठबंधन के 30 साल में शिवसेना-भाजपा की तकरार नई नहीं, हमेशा नरम-गरम रहे हैं रिश्ते

राणे ने 2005 में उद्धव की प्रशासनिक क्षमता को लेकर सवाल उठाया था, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। शिवसेना के संप्रग उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन करने के कदम से राजनीतिक हलकों में सनसनी मच गई। शिवसेना ने 2012 में फिर से राजग के उम्मीदवार पी.ए.संगमा की जगह कांग्रेस की अगुवाई वाले संप्रग के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने तब कहा था कि देश की प्रतिष्ठा दांव पर है।

बाल ठाकरे ने कहा था, किसी को दावा नहीं करना चाहिए कि हमने पीठ पर वार किया है या विश्वास को तोड़ा है, हमने यह फैसला देश के सर्वोच्च हित में लिया है। दोनों पार्टियों में 2014 के विधानसभा चुनाव में और कड़वाहट बढ़ गई, जब दोनों पार्टियों का 25 साल पुराना गठबंधन सीट बंटवारे को लेकर टूट गया और दोनों ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा।

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Web Title-BJP-Shiv Sena 30 years alliance was never safe, relations were always sweet and sour
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