नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. विजय सोनकर शास्त्री ने कहा है कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इस्लाम को गैर राष्ट्रीयता की दृष्टि से देखा था और इसीलिए देश के बंटवारे के समय वे चाहते थे कि आबादी की पूर्ण रूप से अदला-बदली हो। सोनकर ने चुनौती देते हुए कहा कि किसी विद्वान या चिंतक में हिम्मत है तो वह डॉ. आंबेडकर के इस विचार को गलत साबित करके दिखाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भाजपा प्रवक्ता सोनकर ने बुधवार को आईएएनएस से कहा कि यदि मुस्लिम समाज के कुछ तथाकथित नेता हर उचित निर्णय के ठीक उलट बातें करने की ओछी मानसिकता से बाज नहीं आते हैं, तो डॉ. आंबेडकर का चिंतन शतप्रतिशत स्वत: प्रमाणित हो जाएगा। ओवैसी जैसे लोग खुल कर हिंदू विरोध की भाषा बोलते हैं, किंतु और भी ऐसे नेता हैं जो अंदर ही अंदर ओवैसी का विचार रखते हैं और उनकी जैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
सोनकर ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध जिस तरह से कुछ दलित नेता कर रहे हैं, वह उनकी नासमझी के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि सीएए का मुस्लिम वर्ग के कथित नेता विरोध करें तो समझा जा सकता है, मगर चंद्रशेखर रावण, मायावती, उदितराज जैसे दलित नेताओं के विरोध के कारण को दलित समाज भी नहीं समझ पाया है।
इस कानून से दलित क्या भारत के किसी भी नागरिक का कुछ लेना-देना नहीं है, किन्तु असली दलित नेताओं को पाकिस्तान और बांग्लादेश में नारकीय जीवन जी रहे दलित समाज के लोगों की बेहतरी के लिए तो खुशी जाहिर करनी चाहिए।
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