नई दिल्ली। अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने अंतिम पूर्ण बजट में गरीबों, किसानों को राहत देने की कोशिश की है, लेकिन मध्य वर्ग इस बजट से आहत ही हुआ है। जेटली ने गरीबों के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रस्ताव किया, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया और संस्थागत कृषि ऋण में एक लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की, तथा अवसंरचना विकास के लिए छह लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री द्वारा बरती गई इस उदारता का भुगतान मध्य वर्ग को करना होगा। वित्तमंत्री ने तीन-चार ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे सरकार की आय तो बढ़ेगी, लेकिन मध्य वर्ग को नुकसान होगा। सरकार ने वेतनभोगी और पेंशनधारकों को कुछ रियायतें जरूर दी हैं, मगर आयकर पर सेस को तीन से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया है तथा सभी आयातित वस्तुओं पर 10 फीसदी समाज कल्याण सरचार्ज लगा दिया है। इससे सरकार को 11,000 करोड़ रुपये की आय होगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वित्तमंत्री की नजर शेयरधारकों और निवेशक वर्ग पर भी है, जिन पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पर मिलने वाली छूट हटा दी गई है। अब एक साल बाद शेयर बेचने पर एक लाख रुपये का मुनाफा होता है तो इस पर 10 फीसदी कर चुकाना होगा। अभी एक साल से कम समय में शेयर बेचने पर 15 फीसदी का अल्पकालिक पूंजी लाभ कर देना होता है। यह यथावत है। इस नए कर से सरकार को 36,000 करोड़ रुपये की आय होगी। व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर पर दो फीसदी प्राथमिक शिक्षा सेस और एक फीसदी उच्च शिक्षा सेस की जगह चार फीसदी स्वास्थ्य और शिक्षा सेस लगाया गया है। इससे प्राप्त रकम का उपयोग गरीबी रेखा से नीचे तथा ग्रामीण परिवारों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य पर किया जाएगा।
किसानों को सौगात
भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के 2014 के चुनावी वादे के अनुसार, खरीफ फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की लागत का डेढ़ गुना कर दिया है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए संस्थागत कृषि ऋण के लिए 11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि पहले यह 10 लाख करोड़ रुपये था। जेटली ने कहा, हमने इस प्रस्ताव को बाकी फसलों के लिए भी सिद्धांत रूप में लागू करने का फैसला किया है। मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि पूर्व-निर्धारित सिद्धांत के अनुसार सरकार सभी खरीफ फसलों के लिए लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य रखने का फैसला किया है।
जेटली ने कहा मुझे भरोसा है कि यह ऐतिहासिक निर्णय किसानों की आय दोगुना करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में गरीबों के लिए जनधन और उज्ज्वला जैसी कुछ बड़ी योजनाएं जरूर लॉन्च की गईं, लेकिन सरकार अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले गरीबों के लिए एक और बड़ी योजना लाना चाहती थी। इसकी तैयारी सरकार पिछले काफी समय से कर रही थी। इसी के तहत सरकार ने 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए 5 लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा योजना का ऐलान कर बड़ा दांव खेला है।
टैक्स दर में कोई बदलाव नहीं
व्यक्तिगत कर की स्लैब और दरों में कोई बदलाव किए बगर जेटली ने व्यक्तिगत करदाताओं से परिवहन और मेडिकल पुनर्भुगतान की सुविधा छीन ली है। इसके बदले 40,000 रुपये की मानक कटौती दोबारा शुरू की है, जिससे सरकार के राजस्व में 8,000 करोड़ रुपये की कमी होगी और 2.5 करोड़ करदाताओं को फायदा होगा।
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