नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगता है कि प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस का प्रभारी महासचिव निुयक्त किए जाने से आगामी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा)-बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन के खिलाफ लड़ाई में उसे फायदा होगा और पार्टी 2014 की तुलना में विपक्ष से लडऩे में बेहतर तरीके से तैयार है। पार्टी ने पश्चिम बंगाल व ओडिशा में भी लगभग आधी लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ फिर से गठबंधन बनाने को लेकर आशावान है। भाजपा नेताओं ने कहा कि पार्टी बूथ स्तर पर मजबूत उपस्थिति और बीते पांच वर्षों में मोदी सरकार के कामों के कारण 2014 की तुलना में उत्तर प्रदेश में विपक्ष से लडऩे के लिए बेहतर तरीके से तैयार है। उन्होंने सपा-बसपा के बीच गठबंधन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान भी सपा और कांग्रेस ने इस तरह का गठबंधन किया था, लेकिन वह गठजोड़ विफल साबित हुआ था।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाए जाने से कांग्रेस को राज्य में विश्वसनीयता या उसके उद्देश्यों को मजबूती मिल रही है और यह गठबंधन के खिलाफ पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा। सपा-बसपा द्वारा गठबंधन की घोषणा के बाद कांग्रेस को किनारे कर दिए जाने के कुछ दिनों बाद प्रियंका गांधी की नियुक्ति हुई है।
कांग्रेस ने घोषणा की थी कि वह राज्य में सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, हालांकि पार्टी ने समान विचारधारा वाले दूसरे दलों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं। भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन करते हुए 71 सीटें जीती थीं, जबकि दो सीटों पर उसके सहयोगियों को भी जीत हासिल हुई थी। पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे।
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