नई दिल्ली। साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने 282 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। सदन में बहुमत के आंकड़े से 10 सीटें ज्यादा। इसे बढिय़ा बहुमत माना गया था। अब 2018 की बात करें तो 31 मई को बीजेपी के पास लोकसभा में 273 सीटें हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसमें लोकसभा स्पीकर को शामिल नहीं किया गया है। बीजेपी के पास अब भी बहुमत का आंकड़ा है, साथ ही सहयोगियों की 12 सीटें हैं। हालांकि 2014 से अब तक बीजेपी की 8 सीटें कम हो गई हैं, यह साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि पार्टी को 2019 में सत्ता में फिर से वापसी के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
बीजेपी की गिनती 282 से 273 तक कैसे पहुंची? हाल ही में बीजेपी के येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलु ने लोकसभा से इस्तीफा दिया। दोनों कर्नाटक विधानसभा सदस्य के तौर पर शपथ ले ली है। उपचुनाव में बीजेपी को दो सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। यही सबसे बड़ी वजह बनी, जब बीजेपी के लिए आत्ममंथन की बात सामने आई। 13 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को 8 पर हार का सामना करना पड़ा। इनमें वे सीटें भी शामिल हैं, जिनके नतीजे गुरुवार को सामने आए।
इनमें यूपी की कैराना सीट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह सीट पार्टी के बड़े नेता हुकुम सिंह की हार के बाद खाली हुई थी। बीजेपी को आरएलडी कैंडिडेट के हाथों हार का सामना करना पड़ा। यहां यह बात भी गौर करने लायक है कि आरएलडी के उम्मीदवार को कांग्रेस, एसपी और बीएसपी का समर्थन भी हासिल था। यह तीसरा मौका है, जब बीजेपी को गठबंधन के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा।
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