नई दिल्ली ।पं. बिरजू महाराज न केवल एक बेजोड़ कथक नर्तक अपितु एक शानदार गायक, उदार शिक्षक, और कल्पनाशील चित्रकार भी हैं। यह पुस्तक हमें बताती है कि भारतीय नृत्य का यह प्रतीक, जो हज़ारों लोगों का मार्गदर्शक और दुनिया भर में अनगिनत लोगों की प्रेरणा है, वास्तव में अपनी कलात्मक दुनिया के बाहर एक सहज, सरल व्यक्ति है। दुर्लभ छायाचित्रों से परिपूर्ण यह पुस्तक एक ऐसे महान कलाकार के प्रति हृदयानुभूत श्रद्धा की अभिव्यक्ति है, जिसकी अनेक उपलब्धियाँ न केवल भारत में, अपितु पूरे विश्व में उल्लेखनीय हैं। जिनके अथक प्रयासों ने अनगिनत लोगों के जीवन को छुआ है और शास्त्रीय नृत्य रूप कथक के बारे में जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया है।दंतकथा बन चुके कथक सिरमौर पंडित बिरजू महाराज के इस संस्मरण में उनके व्यक्तित्व की एक-एक परत– उनकी सादगी, उनकी विनम्रता, उनकी उदारता– खुल कर सामने आती है। क़रीब 45 वर्षों से अधिक उनके सानिध्य में रह कर उनकी सबसे प्रमुख शिष्या शाश्वती सेन ने पं. बिरजू महाराज को जैसा देखा, समझा और जाना है, उसे स्पष्ट शब्दों बयाँ करने का भरसक प्रयास किया है।
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लेखक के बारे में
कथक के प्रसिद्ध लखनऊ घराने के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से एक शाश्वती सेन, अपने गुरु पं. बिरजू महाराज की कल्पना से उपजे संस्थान कलाश्रम की प्रेरक-संचालक शक्ति हैं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, संस्कृति पुरस्कार, श्रृंगार मणि पुरस्कार और क्रिटिक्स रिकमेंडेशन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने अन्य स्थानों तथा अवसरों के अतिरिक्त वाराणसी में रिम्पा (रवि शंकर इंस्टीट्यूट फॉर म्यूजिक एंड परफॉमिंग आट्स) महोत्सव, भोपाल में और जयपुर में कथक प्रसंग तथा प्रतिष्ठित खजुराहो महोत्सव में नृत्य प्रदर्शन किया है।
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