आयोजन समिति संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस को
बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई को समान नागरिक संहिता पर सरकार को
नोटिस जारी किया था और 15 नवंबर को सुनवाई है। लेकिन सरकार को कोर्ट के
आदेश की प्रतीक्षा करने की बजाय विधि आयोग को विकसित देशों की समान नागरिक
संहिता और भारत में लागू कानूनों का अध्ययन कर दुनिया का सबसे अच्छा और
प्रभावी यूनिफॉर्म सिविल कोड ड्राफ्ट करने का निर्देश देना चाहिए।
उन्होंने
बताया कि 23 नवंबर, 1948 को संविधान में अनुच्छेद 44 जोड़ा गया था, इसलिए
सरकार को 23 नंवबर को देश में समान संहिता दिवस मनाना चाहिए और देश के सभी
विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में समान नागरिक संहिता पर
वाद-विवाद और निबंध प्रतियोगिता आयोजित करना चाहिए।
(IANS)
Politics At Peak : अमेठी में कांग्रेस नेता सुबह भाजपा में गए, शाम को घर वापसी
पाकिस्तान भूखा मर रहा, भारत 80 करोड़ लोगों को राशन दे रहा- सीएम योगी
राहुल गांधी ने हिंदू विरोधी भावनाओं को भड़काया- भाजपा
Daily Horoscope