नई दिल्ली । भोपाल गैस त्रासदी की
38वीं बरसी पर हजारों पीड़ितों ने शनिवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर
विरोध प्रदर्शन किया और मांग की किसरकार 10 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट
द्वारा सुनवाई की जाने वाली क्यूरेटिव पेटीशन में आपदा से होने वाली मौतों
और स्वास्थ्य खतरों के सटीक आंकड़े पेश करे।
त्रासदी के 40,000 बचे लोगों द्वारा हस्ताक्षरित याचिका में यूनियन
कार्बाइड और डाउ केमिकल से अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भोपाल
गैस पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाली एडवोकेट करुणा नंदी
और दलित श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता नोदीप कौर सहित अन्य प्रतिष्ठित
हस्तियां और आम नागरिक पीड़ितों के लिए न्याय की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर
विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी
कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, "भोपाल गैस पीड़ितों में से 93
प्रतिशत को अस्थायी जख्म की श्रेणी में रखा गया है और केवल 25,000 रुपये
मुआवजे के रूप में दिया गया है। यह एक तरह का अन्याय है।"
इस अवसर
पर भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष
बालकृष्ण नामदेव ने कहा, वर्तमान मुख्यमंत्री ने मनमोहन सिंह को लिखा था कि
भोपाल के पीड़ितों को मिले जख्म स्थायी थे, अस्थायी नहीं हैं, जैसा कि
उपचारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पेटीशन) में प्रस्तुत किया गया था। हालांकि,
राज्य सरकार ने अभी तक इस बात को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दोहराया नहीं है।
भोपाल
ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, मध्य प्रदेश सरकार
ने एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भोपाल गैस त्रासदी के
कारण 15,242 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, राज्य सरकार क्यूरेटिव पेटीशन
में पेश किए गए 5295 मौतों के गलत आंकड़े को संशोधित करने के लिए कदम उठाने
में विफल रही। रचना ने सवाल किया, जब तक सुप्रीम कोर्ट के माननीय
न्यायाधीशों को आपदा से हुए नुकसान की वास्तविक सीमा से अवगत नहीं कराया
जाता, तब तक न्याय कैसे हो सकता है?
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष
संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी ने सरकार और पीड़ित संघों द्वारा मांगे गए
मुआवजे की राशि में अंतर बताते हुए कहा, सरकार यूनियन कार्बाइड और डाउ
केमिकल से 9600 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग कर रही है, जबकि हम 64,600
करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं। मुआवजे की राशि की गणना करने के लिए हमने
जिन आंकड़ों का उपयोग किया है, वे आधिकारिक रिकॉर्ड और केंद्र सरकार की एक
एजेंसी, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से हैं। जीवित बचे लोगों और सरकार
द्वारा अग्रेषित आंकड़ों के बीच यह असमानता राहत पैकेजों की गणना करते समय
सरकार की ओर से कम आंकने और असंवेदनशील दृष्टिकोण को दर्शाती है।
रचना
ढींगरा, शहजादी बी और रशीदा बी ने केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख
मंडाविया से मुलाकात की और उन्हें दस्तावेज पेश करते हुए अपनी वर्तमान
परिस्थितियों से अवगत कराया।
--आईएएनएस
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