नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में बडा फेरबदल नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बडा झटका लग सकता है क्योंकि अभी तीन राज्यों में कांग्रेस भाजपा को सत्ता से बाहर करने की तैयारियों पर बडा असर पडेगा। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने राहुल गांधी को बडा झटका देते हुए छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले अजीत जोगी के साथ हाथ मिला लिया है। दूसरी आरे मध्यप्रदेश में भी अपने बसपा प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। बसपा की इस नीति से कांग्रेस के साथ गठबंधन की सारे उम्मीदें खत्म हो गई हैं। इस नीति से कांग्रेस को नुकसान होता नजर आ रहा है। वहीं दूसरी ओर भाजपा को सत्ता में बने रहने में फायदा होगा। आपको बताते जाए कि इसी साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में साल के अंत में चुनाव होने का अनुमान है। तीनों जगह भाजपा की सत्ता पर काबिज है। मध्यप्रदेश में भाजपा 15 साल से काबिज हैं और छत्तीसगढ में भी 15 साल से भाजपा का कब्जा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
छत्तीसगढ़ में भाजपा तीन बार से सत्ता पर बनी हुई । कांग्रेस और भाजपा के बीच एक फीसदी वोट का अंतर रहा था। इसमें 2013 के चुनाव परिणाम में छत्तीसगढ राज्य में 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 49 ,कांग्रेस को 39 और बसपा को एक सीट प्राप्त हुई थी। यही कारण था कि वहां के कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष यह लगातार चाह रहे थे बसपा से गठजोड हो जाए तो आसानी से कांग्रेस सत्ता के स्वाद चख सकती है। लेकिन उनके प्रयासों को बडा झटका लग गया। जब बसपा की मायावती ने कांग्रेस को छोड उनके बागी अजित जोगी की पार्टी के साथ गठजोड कर लिया ।
मायावती और जोगी के बीच गठबंधन में 35 सीटें बसपा को मिली हैं और 55 सीटों पर जोगी जनता कांग्रेस को प्राप्त हुई है। जोगी के पास जहां आदिवासी वोट बैंक है और बसपा के पास दलित मतदाताओं पर अच्छी पकड बताई जा रही है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि प्रदेश में दो दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां बसपा की वजह से नुकसान उठाना पडेगा।
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