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ग्रहण के समय देव पूजा को भी निषिद्ध बताया गया है। इसी कारण ग्रहण के 12
घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते है।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूतक समय को आमतौर पर अशुभ मुहूर्त समय माना
जाता है। इसे ऐसा समय कहा जा सकता है, जिसमें शुभ कार्य करने वर्जित होते
है। सूतक ग्रहण समाप्ति के बाद धर्म स्थलों को फिर से पवित्र किया जाता है।
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सूतक के समय भोजन नहीं करना चाहिए। जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। ग्रहण
से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के
कुछ पत्ते डाल देने चाहिए।
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