रामलला विराजमान देवता हैं, दूसरी जगह वो कहते हैं कि संपत्ति के मालिक
हैं। जब स्थान खुद में पूजनीय है और देवता है, तो ये नहीं कहा जा सकता है
कि वहां भगवान रहते हैं, ऐसे में इस पर सामूहिक कब्जा नहीं हो सकता है।
वकील ने दलील दी कि मस्जिद से पहले उस स्थान पर मंदिर था, इसका कोई सबूत
नहीं है कि बाबर ने ही वो मस्जिद बनाई थी। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया था कि
उनके पास 438 साल से जमीन का अधिकार है, लेकिन हाईकोर्ट ने भी उनके इस
तर्क को मानने से इनकार कर दिया था।
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