मामले को तत्परता से पेश करने और राम लला विराजमान के साथ जुड़ी हिंदू
आस्था के पक्ष को व्यापक तरीके से प्रमाणित करने के लिए पारासरन (92) ने
लंबे समय से मामले की तैयारी कर रखी थी और वैद्यनाथन ने भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट की प्रासंगिकता और वैधता के आधार पर पक्ष को
सबल बनाया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएसआई की रिपोर्ट को मान्य प्रदान
की।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू मंदिर जैसी संरचना बाबरी मस्जिद के
नीचे विद्यमान है। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से धवन (73) ने जोरदार तरीके
से अपना पक्ष रखा। उन्होंने धारदार और तफसीली तरीके से दलीलें पेश कीं,
जिससे अदालत में कई सवाल पैदा हुए।
धवन ने विवादित स्थल के प्रबंधन के
सिलसिले में हिंदू पक्षकारों के बीच पैदा हुए विवाद की ओर अदालत का ध्यान
आकृष्ट किया। अरोड़ा की दलीलों से पीठ की ओर से कई सवाल उठे और एएसआई की
रिपोर्ट की वैधता पर उन्होंने सभी न्यायाधीशों को बहस में शामिल कर दिया।
(IANS)
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