नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने
मंगलवार को कहा कि घर बनाने के लिए पैसे की मांग दहेज की मांग है, जो
भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के तहत दंडनीय है।
मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना
और हिमा कोहली की पीठ ने कहा, "मौजूदा मामले के तथ्यों में, हमारी राय है
कि निचली अदालत ने मृतक पर घर के निर्माण के लिए प्रतिवादियों द्वारा की गई
पैसे की मांग की परिभाषा के तहत 'दहेज' शब्द के जरिए सही ढंग से व्याख्या
की है।"
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बेंच की ओर से फैसला लिखने वाले जस्टिस कोहली ने कहा कि यह
नजर नहीं आ सकती कि आरोपी लगातार महिला को प्रताड़ित कर रहा था, जिसने
अप्रैल 2002 में खुद को आग लगा ली थी और मर गया था। इसके बाद महिला को अपने
मायके से संपर्क कर घर बनाने के लिए पैसे मांगकर लाने के लिए मजबूर किया
गया।
उन्होंने आगे कहा कि इस संदर्भ में 'दहेज' शब्द को व्यापक अर्थ
में लिया जाना चाहिए ताकि एक महिला से की गई किसी भी मांग को शामिल किया
जा सके, चाहे संपत्ति के संबंध में या किसी भी तरह की मूल्यवान सुरक्षा के
संबंध में।
इस मामले में निचली अदालत ने मृतका के पति जोगेंद्र और
ससुर बद्री प्रसाद को आईपीसी की धारा 304-बी, 306 (आत्महत्या के लिए
उकसाना) और 498-ए के तहत दोषी ठहराया।
--आईएएनएस
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