नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के प्रति बड़ी चिंता दिखाई है। उन्होंने शनिवार को कहा कि कांग्रेस नेतृत्व की निजी महत्वाकांक्षाओं ने उसकी 'विचारधारा में विकृति' पैदा की और उसकी राजवंश वाली प्रवृत्तियों ने भारत को एक राजशाही में बदल दिया, यहां तक कि राजशाही वाला लोकतंत्र भी नहीं रहने दिया। उन्होंने कहा कि यह 'व्यक्तिगत विपत्तियां और महत्वाकांक्षा' थी, जिसने कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को ऐसी सभा में जाने को मजबूर किया, जहां भारत विरोधी नारे लगाए जा रहे थे।
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जेटली ने यहां आयोजित इंडिया आइडियाज कॉनक्लेव में पहले अटल विहारी मेमोरियल लेक्चर देते हुए कहा कि क्या इंदिरा गांधी या राजीव गांधी ऐसी जगह जाना पसंद करते, जहां 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' के नारे लगाए गए।"
हालांकि ये नारे किसने लगाए, वे लोग कौन थे, इसका पता हालांकि दिल्ली पुलिस नहीं लगा पाई। नारे लगाकर वे लोग कहां गुम हो गए, यह पता लगाना जरूरी भी नहीं समझा गया। समाचार चैनल जी न्यूज पर चलाए गए वीडियो में नारे लगाते जो चेहरे दिखे थे, उन चेहरों को बिल्कुल भुला दिया गया और जिन्होंने नारे नहीं लगाए, उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया गया, फिर देशद्रोही बताकर छोड़ भी दिया गया। यही वजह है कि कन्हैया कुमार और उमर खालिद पर आरोप साबित नहीं हो सका। चर्चा तो यह है कि जेएनयू और वामपंथी छात्रों को बदनाम करने के लिए भाड़े के टट्टुओं से नारे लगवाए गए थे। सत्तापक्ष को इसका फायदा यह मिला कि जेएनयू के घमासान को शांत करने धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के जो भी नेता वहां गए, उन पर भाड़े के नारों का धब्बा लगाना आसान हो गया।
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