सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस विधेयक में असम, मेघालय
और त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों को छोड़ दिया जाएगा। ये ऐसे जनजातीय इलाके
हैं जहां संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषद व जिले बनाए गए
हैं।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश में उत्पीड़न के कारण
वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों को
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के तहत भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। इस
विधेयक का विपक्ष ने पहले ही विरोध किया है। कांग्रेस ने इसे असंवैधानिक
करार दिया है।
विधेयक में मुस्लिम को छोड़ देने को लेकर अल्पसंख्यक गुटों ने भी इसका विरोध किया है।
मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान ऐलान
किया कि वह प्रस्तावित विधेयक में दो संशोधन का प्रस्ताव पेश करेगी।
--आईएएनएस
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