नई दिल्ली ।| वायु प्रदूषण के संपर्क
में आने से समय से पहले मरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि दक्षिण एशिया
के शहरों में सबसे ज्यादा है।
एक शोध के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण ने मुंबई, बैंगलोर, कोलकाता,
हैदराबाद, चेन्नई, सूरत, पुणे और अहमदाबाद में अनुमानित 1,00,000 लोगों की
अकाल मृत्यु का कारण बना। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बर्मिघम विश्वविद्यालय और यूसीएल के
शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि तेजी से
बढ़ते उष्णकटिबंधीय शहरों में 14 वर्षो में लगभग 1,80,000 परिहार्य मौतें
वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ने के कारण हुई।
वैज्ञानिकों की
अंतर्राष्ट्रीय टीम ने 2005 से 2018 के लिए नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष
एजेंसी (ईएसए) के उपग्रहों से अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों का उपयोग करके
अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में 46 भविष्य के मेगासिटीज के लिए वायु
गुणवत्ता में डेटा अंतराल को कम करने का लक्ष्य रखा है।
शोध में जिन
शहरों का विश्लेषण किया गया, वे हैं : अफ्रीका : आबिदजान, अबुजा, अदीस
अबाबा, एंटानानारिवो, बमाको, ब्लैंटायर, कोनाक्री, डकार, दार एस सलाम,
इबादान, कडुना, कंपाला, कानो, खार्तूम, किगाली, किंशासा, लागोस, लिलोंग्वे,
लुआंडा, लुबुम्बाशी, लुसाका, मोम्बासा, एन'जामेना, नैरोबी, नियामी और
औगाडौगौ।
दक्षिण एशिया : अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, चटगांव, ढाका, हैदराबाद, कराची, कोलकाता, मुंबई, पुणे और सूरत।
दक्षिण पूर्व एशिया : बैंकॉक, हनोई, हो ची मिन्ह सिटी, जकार्ता, मनीला, नोम पेन्ह और यांगून।
मध्य-पूर्व : रियाद और सना
साइंस
एडवांस में 8 अप्रैल को प्रकाशित, अध्ययन से वायु गुणवत्ता में तेजी से
गिरावट और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक वायु प्रदूषकों के शहरी जोखिम में
वृद्धि का पता चलता है।
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