नई दिल्ली। देश की राजधानी में करीब एक माह से वायु प्रदूषण की विकराल समस्या बनी हुई है। जहरीली हो चुकी हवा के कारण लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार भी प्रदूषण पर लगाम के लिए कई जतन कर रही है, लेकिन वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। सरकार ने सडक़ पर वाहनों की संख्या घटाने के लिए 4 से 15 नवंबर तक ऑड-ईवन स्कीम भी लागू की थी। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट प्रदूषण को लेकर आप सरकार को फटकार लगाने के साथ गहरी चिंता जता चुके हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मंगलवार को यह समस्या लोकसभा में भी पहुंच गई। इस मुद्दे पर बहस के दौरान सांसदों ने दिल्ली सरकार को खरी-खोटी सुनाने के साथ हवा को शुद्ध करने पर बात की। शुरुआत में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि दिल्ली की आबो-हवा इतनी ज्यादा प्रदूषित हो जाती है, इतना ज्यादा धुआं हो जाता है कि लोग जहरीली गैस की सांस लेते हैं। यह दलगत सियासत से ऊपर उठकर देखने की जरूरत है। यह परिस्थिति हर साल इसी समय क्यों पैदा होती है, सोचने की जरूरत है। दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत के हैं।
कानपुर, बनारस, गया, पटना, दिल्ली, लखनऊ, मुजफ्फरपुर, आगरा, श्रीनगर, पटियाला, जोधपुर और कई शहरों में प्रदूषण की जबरदस्त मार है। सरकार की ओर से इससे निपटने के लिए आवाज क्यों नहीं उठती। सदन में बात क्यों नहीं उठती। क्यों लोगों को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। यह अत्यंत गंभीर विषय है। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 1981 में जो एक्ट बनाया गया था उसको और मजबूत बनाने की जरूरत है। सरकार ने जनवरी 2018 में एक नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम की घोषणा की थी उसका उद्देश्य अच्छा है।
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