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छद्म युद्ध हारने के बावजूद कश्मीर की हांडी चढ़ाये रखना चाहता है पाकिस्तान

After losing proxy war, Pak turns grenades & guns towards common man in Kashmir - Delhi News in Hindi

नयी दिल्ली/श्रीनगर। देश के बंटवारे के बाद युद्ध के कई मोर्चो पर मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को गर्म रखने के लिये कोई न कोई करतूत लगातार करता रहता है ताकि वहां रहने वाले आम लोगों की मुसीबतें बढ़ती रहें। इस बार आतंकवादियों ने श्रीनगर शहर के व्यस्त संडे मार्केट में ग्रेनेड हमला करके अपने नापाक इरादों का एक और सबूत दिया है। इस हमले में एक 60 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गयी और 24 से अधिक लोग घायल हो गये।

आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम देकर नियंत्रण रेखा के पार बैठे अपने आकाओं को यह संदेश दिया है कि वे उन्हें खुश रखने के लिये किसी भी बेकसूर के खून से अपने हाथ रंग सकते हैं।

पाकिस्तान की सरपरस्ती में पिछले 32 साल से जम्मू कश्मीर में ग्रेनेड हमलों, हत्या और अपहरण के वारदातों का खेल चल रहा है। इन आतंकवादियों की कथित आजादी की मांग ने कश्मीर के लोगों को हिंसा की आग में झोंक दिया है। आतंकवादियों के हैंडलर स्थानीय युवाओं को हथियार बनाकर अपना मकसद पूरा करते हैं।

पाकिस्तान कश्मीर के मामले को जिंदा रखने के लिये कभी आतंकवादियों की घुसपैठ कराता है, कभी अपने स्लीपर सेल को सक्रिय करता है, तो कभी सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन से हथियार गिराता है।

पिछले कुछ माह के दौरान जम्मू में भारी मात्रा में हथियार, विस्फोटक, ग्रेनेड, आईडी और अन्य आपत्त्जिनक सामग्रियां जब्त की गयी हैं।

गत एक साल के दौरान सुरक्षा बलों ने ग्रेनेड हमला करने, नागरिकों की हत्या करने और अन्य आतंकी गतिविधियों में संलिप्त 85 आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है।

स्थानीय मदद के बिना इन आतंकवादियों को अब अपनी गतिविधियों को अंजाम देने में मुश्किल आ रही है। पूरे राज्य में एक बार फिर आतंकी माहौल स्थापित करने के इरादे से आतंकवादी अब आम लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं।

पाकिस्तान के इरादों का खुलासा होने के कारण अब उसे स्थानीय लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा है और इस बात की गवाही यह तथ्य देता है कि तीन दशक के आतंकी इतिहास में कश्मीर में ऐसा पहली बार हुआ है जब सक्रिय आतकंवादियों की संख्या घटकर 200 से भी कम रह गयी है और इनमें स्थानीय निवासी मात्र 86 हैं।

अधिकारियों के मुताबिक एक जनवरी से 15 फरवरी के बीच 24 आतंकवादी मार गिराये गये हैं जबकि गत साल की समान अवधि में आठ आतंकवादी मारे गये थे। पिछले साल 193 आतंकवादी मारे गये थे और वर्ष 2020 में 232 आतंकवादियों को ढेर किया गया था।

गत साल 128 स्थानीय आतंकवादी संगठनों से जुड़े जबकि वर्ष 2020 में 180 स्थानीय आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हुये थे। पिछले साल आतंकवादी संगठनों से जुड़ने वाले 128 स्थानीय लोगों में से 73 मार गिराये गये, 17 गिरफ्तार किये गये जबकि 39 अब भी सक्रिय हैं।

आतंकवादी संगठन अब 20 से 25 साल के युवाओं के बजाय 16-17 साल की उम्र के लड़कों का ब्रेनवॉश करके खुद से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि जैसे ही पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म करके इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया, वैसे ही इसके दरवाजे पूरी दुनिया के लिये खुल गये। सरकार यहां युवाओं के लिये हर क्षेत्र में अवसर सृजित करने में जुटी है ताकि वे एक शांतिपूर्ण जीवन को जी सकें।

पिछले दो साल से सुरक्षाबल के जवान यहां किसी राजनीतिक दखलअंदाजी के बिना आतंकवादी रोधी अभियान को चला रहे हैं और उन्होंने आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वालों से भी कड़ाई की है। यहां 2019 से अब तक विभिन्न मुठभेड़ों में 600 से अधिक आतंकवादी मारे गये हैँ। सुरक्षाबलों ने इस मुठभेड़ों में आम लोगों की हिफाजत को पहले महत्व दिया और फिर कार्रवाई की, जिससे इन्हें स्थानीय सहयोग भी मिला।

दो साल से कश्मीर में पर्यटन भी बढ़ा है। पर्यटन उद्योग में आयी बेहतरी से हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है और इससे पूरे राज्य को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ हो रहा है। जम्मू कश्मीर सरकार को करोड़ो रुपये के निवेश प्रस्ताव मिल रहे हैं और यहां अब औद्योगिक क्षेत्र भी नयी करवटें ले रहा है।

पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद अब जम्मू कश्मीर में दम तोड़ रहा है। बचे -खुचे आतंकवादी आम लोगों को भय के साये में रखने के लिये हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

कश्मीर की जनता ने लेकिन अपना इरादा पक्का कर लिया है कि वे अब आतंकवादी को अपनी सरजमीं पर दोबारा सिर उठाने नहीं देंगे।

--आईएएनएस

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