नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम दर्शनों में भाजपा कार्यालय में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी गुमसुम बैठे रहे। शायद वे अटल जी के साथ बीते 65 सालों की यादों में खोए होंगे। उनकी आंखों के सामने वे पुराने बातें एक-एक करके याद आ रही होंगी। उनके साथी बडे भाई आज उनको छोड़ कर जा रहे हैं। जब अपना कोई चला जाता है तो आंखें बहुत कुछ बोलती हैं वैसे ही आडवानी के आंखें आज बहुत कुछ बयां कर रही थीं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पिछले कुछ वर्षों से अटल जी अपनी बीमारी के कारण सार्वजनिक जीवन से बाहर हो गए थे। लेकिन उनसे लगातार मिलने वालों में दो ही प्रमुख थे एक लालकृष्ण आडवानी और दूसरे राजनाथ सिंह। अटल और आडवानी की जोडी 65 साल साथ-साथ रही। विपक्ष में बैठकर खूब पदर्शन किया और साथ-साथ प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री भी रहे। लेकिन जीवन का यह सत्य है कि जोडिय़ा हमेशा टूटती ही हैं। अटल जी उनको छोडकर इस दुनिया को अलविदा कर गए। वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा में भीड़ में तन्हा बैठे लालकृष्ण आडवाणी की यह तस्वीर उनके दुख की सारी कहानी बयां करती है।
आपको बताते जाए कि सन 1952 में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी पहली बार मुलाकात हुई थे। ये मुलाकात एक ट्रेन में हुई थी। अटल जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ राजस्थान के कोटा जिले से गुजरने के दौरान हुई थी।
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