नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि देश को 10 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने के लिए ‘व्यापार उत्कर्ष अवधि’ की जरूरत है, जैसा साल 2003 से 2008 के दौरान था। वित्तमंत्री ने 10 फीसदी के आंकड़े को चुनौतीपूर्ण करार दिया। जेटली ने यहां एचटी लीडरशिप सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘10 फीसदी विकास दर काफी चुनौतीपूर्ण आंकड़ा है और यह केवल घरेलू कारकों पर निर्भर नहीं करता। यह इस पर भी निर्भर करता है कि दुनिया में किस तरह की विकास दर है।’’ जेटली ने कहा, ‘‘जब दुनिया भर की आर्थिक रफ्तार धीमी थी, तो हम तीन सालों तक सात-आठ फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने में सफल रहे और मैं समझता हूं कि हमने इस अवधि का अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव के लिए प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया है। निश्चित रूप से, यह हमें मध्यम और दीर्घकालिक अवधि में विकास में तेजी लाने में मदद करेगा।’’ ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हाल ही में लागू वस्तु एवं सेवा कर के बारे में उन्होंने कहा कि अगर जीएसटी की दरों को शुरुआत में कम रखा जाता तो यह अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का प्रभाव डालता। उन्होंने कहा, ‘‘पहले देश में 31 फीसदी कर की दर थी। हमने उसे तात्कालिक रूप से 28 फीसदी पर रखा है। हमने ज्यादातर सामानों को अब 18 फीसदी और 12 फीसदी के कर दायरों में रखा है।’’ जेटली ने 12 फीसदी और 18 फीसदी की दर को एक में मिलाने का संकेत देते हुए कहा कि करों को तर्कसंगत बनाने का काम समय से पहले शुरू कर दिया गया है और भविष्य का युक्तिकरण राजस्व संग्रह पर निर्भर करेगा। जेटली ने कहा, ‘‘भविष्य में युक्तिकरण की प्रक्रिया इस पर निर्भर करेगी कि कर संग्रहण में कितनी वृद्धि होती है। अगर हम राजस्व बढ़ाने में सफल होते हैं तो तो राजस्व तटस्थता बरकरार रखेंगे।’’
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